रायपुर में नीति आयोग की राष्ट्रीय कार्यशाला: विशेषज्ञों ने ड्रॉपआउट दर घटाने और युवाओं को कौशल से जोड़ने पर दिया जोर

ड्रॉपआउट दर घटाने और युवाओं को कौशल से जोड़ने पर रायपुर में नीति आयोग की राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला में वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी शामिल हुए।

Updated On 2025-08-29 17:03:00 IST

 नीति आयोग के राष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल हुए वित्त मंत्री ओपी चौधरी

रायपुर। नीति आयोग ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में शिक्षा में मेंटरशिप को बढ़ावा देना, समानता का मार्ग विषय पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला आयोजित की।कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की भावना को मूर्त देना है। साथ ही शिक्षा व्यवस्था को अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी बनाने में मेंटरशिप की भूमिका पर चर्चा कर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क बनाना है। इस दौरान विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और हितधारकों ने शिक्षा में समानता लाने, ड्रॉपआउट दर घटाने और युवाओं को अवसरों से जोड़ने के लिए अपने अनुभव साझा किए।

विशेष अतिथि के रूप में वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी ने कहा कि, शिक्षा में समानता और सशक्तिकरण की दिशा में मेंटरशिप की भूमिका निर्णायक है। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल विकास पर केंद्रित है। यह साझा राष्ट्रीय ढांचा तैयार करने का अवसर है, जो विकसित भारत के सपने को साकार करने में मदद करेगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनसांख्यिकीय ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की औसत आयु 28 वर्ष है, जबकि छत्तीसगढ़ की औसत आयु मात्र 24 वर्ष है। यह हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, हमें युवाओं को अर्थव्यवस्था से जोड़ना होगा, ताकि वे विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय योगदान दे सकें।


वित्त मंत्री ने जीवन के अनुभव किए साझा
वित्त मंत्री चौधरी ने अपने जीवन अनुभव साझा करते हुए कहा कि, मैंने गांव के सरकारी स्कूल में 10वीं और 12वीं तक पढ़ाई की, जहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं। 17 वर्षों की औपचारिक शिक्षा के बाद भी अनेक युवाओं को यह स्पष्ट नहीं होता कि जीवन में आगे क्या करना है। कैरियर गाइडेंस और मेंटरशिप इस कमी को दूर कर सकती है।

स्थानीय बोलियों पर फोकस सही दिशा है-ओपी चौधरी
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा- बस्तर जैसे क्षेत्र के बच्चों के जीवन का जुड़ाव जंगलों और झरनों से है। उन्हें इसी के अनुरूप अक्षर ज्ञान देना चाहिए। एनईपी 2020 का स्थानीय बोलियों पर फोकस सही दिशा है। आगे कहा कि, समुदाय की भागीदारी घट रही है, हमें नवोदय विद्यालय जैसे मॉडल अपनाने होंगे। नीति आयोग को देशभर की इनोवेटिव प्रैक्टिस को साझा प्लेटफॉर्म पर लाना चाहिए, ताकि शिक्षा में समानता सुनिश्चित की जा सके।


हर बच्चे को मेंटरशिप मिलना उसका अधिकार है- डॉ. वीके पॉल
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि शिक्षा मानव पूंजी निर्माण का आधार है और हर बच्चे को समान अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ड्रॉपआउट दरों को साझा करते हुए बताया कि प्राथमिक स्कूलों में 93 प्रतिशत नामांकन है, लेकिन अपर प्राइमरी में तीन प्रतिशत बच्चे छूट जाते हैं। सेकेंडरी स्तर पर केवल 56 प्रतिशत और 12वीं कक्षा तक मात्र 23 प्रतिशत छात्र ही पहुंचते हैं।


नशे जैसी समस्याएं ड्रॉपआउट को बढ़ाती हैं- डॉ. पॉल
डॉ. पॉल ने कहा कि, 2019 से 2023 तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों से 15 सौ ओबीसी, एससी, एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी, जबकि आईआईटी और आईआईएम से 4 हजार से अधिक छात्र बाहर हुए। यह व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय क्षति भी है। मेंटरशिप से छात्रों को व्यक्तिगत मार्गदर्शन, आत्मविश्वास और जीवन कौशल मिलते हैं। हमें शिक्षकों का माइंडसेट बदलना होगा, छात्रों को सशक्त बनाना होगा और तकनीक के माध्यम से सीधी पहुँच सुनिश्चित करनी होगी। विषाक्त वातावरण और नशे जैसी समस्याएं ड्रॉपआउट को बढ़ाती हैं। हर बच्चे को ज्ञान और आत्मविश्वास से लैस होकर चुनौतियों का सामना करने का अवसर मिलना चाहिए, यह उसका मानवाधिकार है।

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