ट्रैक मशीनों से बदल रही ट्रेनों की चाल : 130 की रफ्तार पर भी ट्रेन में महसूस नहीं होंगे झटके और हिचकोले

चलती ट्रेन में अक्सर कोच के हिलने से यात्रियों को सफर में आराम नहीं मिल पाता, लेकिल अब ट्रेनों में चैन की नींद लेकर यात्रा कर सकेंगे।

Updated On 2025-04-18 11:13:00 IST
Summer Special Train 2025

रायपुर। चलती ट्रेन में अक्सर कोच के हिलने से यात्रियों को सफर में आराम नहीं मिल पाता, लेकिल अब राजधानी, दुरंतो या शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों के साथ ही सामान्य मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में चैन की नींद लेकर यात्रा कर सकेंगे। लंबे सफर के बाद भी थकावट को सुखद यात्रा का अनुभव कराने पटरी पर रेल ट्रैक मशीन उतारी गई है। अत्याधुनिक मशीन रेलवे ट्रैक को चिकना बनाए रखने में मदद कर रही है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे प्रतिदिन औसतन 5500 ट्रैक किलोमीटर में 400 से अधिक ट्रेनों का संचालन  करता है, जिससे रेल पटरियों का समय-समय पर रखरखाव आवश्यक हो जाता है। इस तकनीक से न केवल यात्रियों को झटकों से राहत मिलती है, बल्कि ट्रैक की उम्र भी बढ़ रही है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में वर्तमान में 84 ट्रैक मशीनें कार्यरत हैं, जो नई लाइन निर्माण एवं कार्यरत लाइनों के अनुरक्षण में अहम भूमिका निभा रही हैं।

130 किमी तक पहुंच चुकी है रफ्तार 

रेल मिलिंग तकनीक के उपयोग से ट्रेनों की गति 130 किमी/घंटा तक पहुंच चुकी है, जिससे उच्च गति ट्रेनों के अनुरूप ट्रैक रखरखाव और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इससे यात्रियों को न केवल चैन की नींद मिलेगी, बल्कि लंबे सफर के बाद भी थकावट महसूस नहीं होगी। बता दें कि आने वाले दिनों में यह रफ्तार और बढ़ेगी। रेल पटरियों की लाइनिंग, लेवलिंग और अलाइनमेंट के साथ, इनके नीचे बिछी गिट्टी (बैलास्ट) का रखरखाव भी अत्यंत आवश्यक है। बैलास्ट न केवल ट्रैक को स्थिरता देती है, बल्कि ट्रेनों के भार को समान रूप से वितरित करके यात्रियों के लिए आरामदायक सफर सुनिश्चित करती है।

गर्मी में बढ़ जाती हैं टेढ़ा पड़ने की घटनाएं 

लंबे समय तक यात्री ट्रेन या मालगाड़ी चलने से पहिए से ट्रैक घिस जाते हैं। गर्मी में ट्रैक के टेढ़ा होने या जाड़े में दरार पड़ने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पहले ऐसी स्थिति में ट्रैक को काट कर उस स्थान पर नए ट्रैक जोड़ने पड़ते थे। लंबी रेल पटरी बिछाने के लिए वेल्डिंग की जाती है। लंबे समय तक रेल परिचालन के बाद वेल्डिंग फेल होने का खतरा रहता है। रेल मिलिंग मशीन से अब ऑन स्पॉट मरम्मत की जा रही है। ट्रैक के ऊपरी हिस्से से 1.5 एमएम गहराई तक मशीन से दुरुस्त किया जा सकेगा।

24 घंटे सेवा में जुटी ट्रैक मशीनें 

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान ट्रैक मशीनों की मदद से ट्रैक अनुरक्षण के कई अहम कार्य सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इन कार्यों में अब तक 201 किलोमीटर ट्रैक का नवीनीकरण, 287 किलोमीटर गिट्टी की छनाई, 137 टर्न आउट्स का नवीनीकरण और 7453 किलोमीटर से अधिक ट्रैक की टैपिंग शामिल है। इन कार्यों को अंजाम देने के लिए रेलवे द्वारा अत्याधुनिक ट्रैक मशीनें सीएसएम, ड्यूमेटिक, एमपीटी, यूनिमेट, एफआरएम, बीआरएम, बीसीएम, पीक्यूआरएस और टी-28 का उपयोग किया जा रहा है। मशीनों के संचालन में करीब 900 कुशल कर्मचारी दिन-रात, हर मौसम में जुटे रहते हैं।
 

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