आरटीई फर्जीवाड़ा : ऐसा गांव...जहां लोग रहते नहीं, पर लाखों की फीस बचाने दर्जनों ने यहां कागजों पर बना लिया 'पता-ठिकाना

नरदहा गांव के लोगों ने देखा कि उनके बच्चों को आरटीई के अंतर्गत इन स्कूलों में सीटें मिल  ही नहीं है, तब उन्होंने स्कूल प्रबंधन सहित अन्न लोगों से चर्चा की।

Updated On 2025-04-12 10:42:00 IST
NARDAHA

रायपुर। आपने इरफान खान की हिंदी मीडियम फिल्म देखी है? इसमें नायक अमीर होते हुए भी एक झुग्गी झोपड़ी में रहने चले जाता है ताकि अपने बच्चे का दाखिला आरटीई के अंतर्गत शहर के बडे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में करा सके फिल्मों के इतर यह दृश्य अब राजधानी रायपुर से सटे नरहदा गांव  में आम हो चला है। इस फिल्म में नायक-नायिका की मजबूरी यह थी कि उन्हें अंग्रेजी तौर-तरीके नहीं आने के कारण उनके बच्चे को बड़े स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उन्होंने आरटीई का सहारा लिया। लेकिन यहां लोग लाखों रूपए की फीस बचाने के लिए फर्जी निवास स्थान का पैंतरा अपना रहे हैं। 

दरअसल, आरटीई के नियमानुसार, निजी विद्यालयों की 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब छात्रों को प्रवेश दिया जाना है। गरीब छात्रों का निवास उस स्कूल के तीन किलोमीटर के दायरे में होना चाहिए। अर्थात छात्र के निवास स्थान के तीन किलोमीटर के दायरे में जो विद्यालय आते हैं, उन स्कूलों में ही उन्हें प्रवेश दिया जा सकता है। ब्राइटन, एनएच गोयन, ज्ञान गंगा, द आरंभ, श्यामंटक सहित कई शीर्ष निजी विद्यालय इस क्षेत्र में स्थित हैं। ये सभी स्कूल कई एकड़ जमीन में फैले हुए हैं। यहां प्रवेश पाने के लिए शहर में रहने वाले पालक नरदहा ग्राम में निवास के दस्तावेज प्रस्तुत करने फर्जी किरायानामा बनवा रहे हैं। इस फर्जी किरायानामा के आधार पर वे इन स्कूलों में प्रवेश प्राप्त कर रहे हैं। 

ग्रामीणों में गुस्सा

इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब नरदहा गांव के लोगों ने देखा कि उनके बच्चों को आरटीई के अंतर्गत इन स्कूलों में सीटें मिल ही नहीं है, तब उन्होंने स्कूल प्रबंधन सहित अन्न लोगों से चर्चा की। इसके बाद उन्हें ज्ञात हुआ कि उव पालकों के बच्चों को इन विद्यालयों में प्रवेश दिया गय है, जो यहां रहते ही नहीं है। फर्जी किरायानामा के आधार पर उन्हें स्कूल में सीट दिए जाने की बाब सामने आई। इसके बाद ग्रामीणों ने पालकों द्वाच आरटीई दाखिले के लिए भरे जाने वाले फॉर्म के साथ सब्मिट किए जाने वाले दस्तावेजों की भौतिक सत्यापन की मांग की गई, लेकिन इस पर भी कोड ध्यान नहीं दिया गया। 

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दस्तावेज सत्यापन 25 तक 

इस वर्ष आरटीई के लिए आवेदन एक मार्च से 8 अप्रैल तक मांगे गए। पालकों द्वारा भरे गए फॉर्म और दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया 17 मार्च से प्रारंभ है, जो 25 अप्रैल तक चलेगी। 1 व 2 मई को लॉटरी निकालकर 30 मई तक का समय छात्रों को प्रवेश के लिए दिया जाएगा। इस वर्ष 33 जिलों के 6695 विद्यालयों के लिए 1,05,372 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीणों की गलती है 

नरदहा नोडल प्राचार्य भारती श्रीवास  ने बताया कि, यदि फर्जी किरायानामा बनाकर लोग प्रवेश ले रहे हैं, तो इसमें ग्रामीणों की गलती है। वे अपना आधार कार्ड देते हैं, तब ही शहर के लोग किरायानामा बनवा पाते हैं। हम केवल ऑनलाइन अपलोड किए गए दस्तावेजों ही देखते हैं। भौतिक सत्यापन नहीं करते। 

हमारे बच्चों का हक छीन रहे

नरदहा सरपंच अमित टंडन ने बताया कि, फर्जीवाड़ा करके हमारे बच्चों का हक छीना जा रहा है। हमने कई बार अधिकारियों से इसकी शिकायत की है। कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जो बच्चे इन बड़े स्कूलों में आरटीई कोटे से पढ़ रहे हैं, वे हमारे गांव में रहते ही नहीं। 

कार्रवाई करेंगे

रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह ने बताया कि, अब तक इस तरह की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। यदि इस तरह के फर्जीवाड़े की शिकायत सामने आती है तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। 

नोडल प्राचार्य का दायित्व 

निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि, पालकों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों के भौतिक सत्यापन का दायित्व नोडल प्राचार्य का होता है। यदि पालक फर्जी दस्तावेज बना रहे हैं तो जिला शिक्षा कार्यालय जांच करे। सरपंच से सत्यापन अनिवार्य करवाकर भी इस फर्जीवाड़े को रोका जा सकता है। 

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