रथयात्रा रविवार 7 जुलाई को : तैयारियां पूरी, भक्तों का उत्साह चरम पर...एक साथ तीन रथ निकलेंगे भ्रमण पर

छत्तीसगढ़ के राजिम शहर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को लेकर भक्तों का उत्साह चरम पर पहुंच चुका है। परंपरानुसार तीनों रथ सजकर पूरी तरह से तैयार हैं।

By :  Ck Shukla
Updated On 2024-07-05 19:43:00 IST
भगवान जगन्नाथ

श्यामकिशोर शर्मा- नवापारा-राजिम। रविवार 7 जुलाई को रथयात्रा है। रथयात्रा को लेकर छत्तीसगढ़ के प्रयागराज कहे जाने वाले रामिज शहर और उसके आस-पास के गांवों में बहुत ही उत्साह का वातावरण देखा जा रहा है। परंपरा के मुताबिक इस शहर में तीन रथ एक साथ निकलती हैं।

परंपरा के मुताबिक इनमें पहले नंबर पर श्री राधाकृष्ण मंदिर का रथ, दूसरे क्रम में श्री सत्यनाराण मंदिर का रथ और इन दोनो रथों के पीछे साई मंदिर की रथ चलती है। तीनो मंदिरों के रथ अप टु डेट रेडी हो गए हैं। साई मंदिर कमेटी के अध्यक्ष भारत सोनकर ने बताया कि, पिछले कई वर्षो से रथयात्रा पर्व में इस मंदिर से रथ निकाली जा रही है। ये रथ राधाकृष्ण मंदिर और सत्यनाराण मंदिर के रथ के बाद तीसरे क्रम पर रहती है। तीनो रथों से गजा मूंग का प्रसाद वितरण पूरे शहर में की जाती है। ये दृश्य बहुत ही अनोखा होता है। रथ को खींचने के लिए भक्तों में होड़ मची रहती है। 

रथयात्रा को पूरे हुए 99 साल

वहीं राधाकृष्ण मंदिर कमेटी के पदाधिकारी गिरधारी अग्रवाल ने बताया कि, सेठ चतुर्भुज भागीरथ अग्रवाल परिवार द्वारा निर्मित राधाकृष्ण मंदिर स्थापना का 99 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस मंदिर में भगवान राधाकृष्ण के अलावा भगवान जगन्नाथ उनकी बहन सुभद्रा माता एवम भाई बलदाऊ की मनोहारी मूर्ति विराजित है। साथ ही शिव परिवार, माता रानी अम्बे भवानी का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर एवं महाराज अग्रसेन की मूर्ति भी विराजित है। यहाँ की रथ यात्रा का आयोजन 99 वर्ष से हो रहा है। इस आयोजन का केवल नगर ही नहीं बल्कि दूर- दूर अंचल के भक्तों को इंतजार रहता है।

यह है पौराणिक कथा और मान्यता

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान महाप्रभु के परम भक्त माधवदास जी पूर्व जन्मों के कर्म के कारण अत्यंत बीमार पड़ गए, भगवान को अपने इस भक्त की पीड़ा सही नहीं गई और उनकी बीमारी को अपने ऊपर ले लिया। इसलिए आषाढ़ शुक्ल द्वित्या के 15 दिन पहले बीमार हो जाते हैं। जगन्नाथ पुरी की इसी परंपरा को इस मंदिर में भी निभाया जाता है और 15 दिन तक भगवान महाप्रभु को औषधि युक्त काढ़ा पिलाया जाता है। जिसे भक्तगण भी  इस भावना से लेते हैं कि, हम भी बीमार पड़ें तो ठीक हो जावें। इस दौरान रथ को भव्य रूप से सजाया जाता है। जिसमें पेंटर गणेश वर्मा, बढ़ाई श्रीरामजी, एवम चित्रकार विक्रम महाराणा पुरी से इस रथ को सजाने आते हैं। 

शाम 4 बजे निकलेंगे भगवान जगन्नाथ

मंदिर के ट्रस्टी एवं इस मंदिर से जुड़े भक्तगण रथ यात्रा की तैयारी बहुत ही जोर- शोर से कर रहे हैं। रथ यात्रा के दिन प्रात: 10 बजे से भक्तों को खिचड़ी प्रसाद वितरण किया जाता है। शाम 4 बजे भगवान को रथ में विराजमान कराया जाता है एवम भक्तों के द्वारा रथ की डोर इस भावना से खींची जाती है कि, हे जगत के नाथ जगन्नाथ प्रभु... हमारे भी भवसागर की डोर को इसी तरह खींचकर पार लगा देना। हजारों की संख्या में भक्तगण दूर-दूर से इस रथ यात्रा का दर्शन करने आते हैं।

ट्रस्टिंयों की भक्तों से अपील

यह यात्रा सदर रोड होते बस स्टैंड, गंज रोड होते वापस मंदिर पहुंचती है। इस दौरान, बेंड बाजा, भजन मंडली, सांस्कृतिक मंडलियां नृत्य करते आगे आगे चलती हैं। जिस भी भक्त के घर या दुकान के सामने से महाप्रभु निकलते हैं भक्तगण भगवान की आरती उतारकर दर्शन कर अपने आप को धन्य समझते हैं। पूरे मार्ग में भक्तों को मूंग, चना जिसे गजा मूंग कहा जाता है, वितरण किया जाता है। मंदिर ट्रस्टियों ने सभी भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की है।

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