राष्ट्रपति से मिले विकास मरकाम: 8 राज्यों के रिटायर्ड आदिवासी अफसर और समाजसेवी भी थे साथ

देश के आदिवासी बहुल राज्यों से आए सेवानिवृत्त अधिकारियों और समाजसेवियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भेंट की। इस दौरान विभिन्न अभियानों पर चर्चा हुई।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-08-18 17:55:00 IST

राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भेंट 

गोपी कश्यप - नगरी। देश के आदिवासी बहुल राज्यों से आए सेवानिवृत्त अधिकारियों और समाजसेवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भेंट की। इस प्रतिनिधिमंडल में छत्तीसगढ़, उड़ीसा, असम, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड एवं पश्चिम बंगाल के जनजातीय समुदायों से जुड़े गणमान्य व्यक्ति शामिल रहे।

इस विशेष अवसर पर जनजाति कार्य मंत्री जुएल उरांव, ऊर्जा एवं नगरीय प्रशासन मंत्री मनोहर लाल खट्टर, जनजाति कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास उइके, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव, एवं जनजाति कार्य मंत्रालय के सचिव और वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।

जनजातीय नागरिकों और संस्थाओं के बीच सामुदायिक भागीदारी
राष्ट्रपति महोदया ने इस दौरान ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और ‘पीएम जनमन योजना’ का विशेष उल्लेख करते हुए सरकार की आदिवासी हितैषी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी जनजातीय प्रतिनिधियों से केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि, इस अभियान का लक्ष्य लगभग 20 लाख आदिवासी सरकारी अधिकारियों और अन्य हितधारकों (युवा चैंपियन, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारी, स्वयंसेवक आदि) को प्रशिक्षित कर एक समर्पित समूह तैयार करना है। जो देश के लगभग 1 लाख जनजातीय बहुल गांवों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ पहुंचाने की दिशा में काम करे तथा जनजातीय नागरिकों और संस्थाओं के बीच सामुदायिक भागीदारी के विश्वास को मजबूत करे।

पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने से समाज में उत्साह
इस अवसर पर विकास मरकाम ने छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में चर्चा करते हुये बताया कि, हमारे राज्य की लगभग 32% जनसंख्या हमारे आदिवासी समुदायों की है। आजादी के इस अमृतकाल में देश की संवैधानिक प्रमुख के रूप में पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने पर पूरे समाज मे खुशी की लहर है। साथ ही साथ बहुत ही गर्व के साथ मैं कहना चाहता हूं कि, हमारे प्रदेश में भी विष्णुदेव साय को पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने से यह सिद्ध होता है कि, अब भारत का लोकतंत्र हाशिए के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

आदिवासियों का उत्थान सामाजिक न्याय है
उन्होंने यह भी कहा कि, केंद्र की मोदी सरकार ने भारत के समस्त आदिवासी समूहों को न केवल संगठित किया बल्कि यह स्वाभिमान भी जगाया कि, आदिवासियों का उत्थान कोई कृपा नहीं, यह सामाजिक न्याय है। हमारे सांस्कृतिक विरासत और गौरव गाथा को याद करने के लिये 'जनजाति गौरव दिवस' के रूप में एक विशेष दिन देने के लिये भी उन्होंने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आदिवासी समाज की ओर से आभार व्यक्त किया।

ये रहे शामिल
छत्तीसगढ़ से विकास मरकाम के नेतृत्व में एक प्रभावशाली प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ जिसमें विधायक और आईएएस नीलकंठ टेकाम, आईएएस शिशुपाल शोरी, आईपीएस राधेश्याम नायक, आईपीएस भारत सिंह, सेवानिवृत्त सहायक श्रम आयुक्त उमेश कच्छप, सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर फूलसिंह नेताम, कांकेर जिला पंचायत अध्यक्ष किरण नरेटी, एवं भाजपा अजजा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य विद्या सिदार प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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