पहाड़ से बुझती है प्यास: रामाबुटी की जलधारा से किरंदुल के हजारों घरों में पानी की सप्लाई
दंतेवाड़ा जिले की लौह नगरी किरंदुल में पहाड़ों से लोहा निकलता है। वहीं एक पहाड़ है रामाबुटी... वह चमत्कार से कम नहीं।
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सुरेश रावल / विप्लव मालिक-जगदलपुर। दंतेवाड़ा जिले की लौह नगरी किरंदुल में पहाड़ों से लोहा निकलता है। वहीं एक पहाड़ है रामाबुटी... वह चमत्कार से कम नहीं। रामाबुटी से बारहों महीने पानी की जलधारा बहती है, वह भी पूरी तरह से शुद्ध। इस पानी से किरंदुल के लगभग 10 वार्ड के करीब 20 हजार लोगों की प्यास बुझती है। विशेष बात यह है कि किरंदुल में जितनी भी पहाड़ियां हैं, वहां से लोहा निकलता है। लेकिन इसी क्षेत्र के रामाबुटी में चट्टान से रिसते पानी में आयरन की मात्रा नहीं है। जल पूरी तरह से शुद्ध माना गया है, क्योंकि यह कई साल से 10 वार्ड के लोगों को सप्लाई हो रहा है।
नगर पालिका केवल टैंक में पानी स्टोर कर उसे फिल्टर कर घर-घर में सप्लाई करती है। हरिभूमि ने वहां का जायजा लिया। पता चला कि रोजाना करीब 7 लाख लीटर पानी रामाबुटी के चट्टान से रिसता है। यह पानी कभी सूखता नहीं है। साल के 12 महीने में केवल गर्मी के समय बहती पानी की धारा थोड़ी सी पतली हो जाती है। समुद्र तल से करीब 4 हजार 500 फीट की ऊंचाई में किरंदुल बसा है। इस स्थल की खूबसूरती को देखते हुए लोगों ने रामाबुटी को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग शासन प्रशासन से की है। ऊपर पहाड़ में भगवान शंकर, गणेश जी और बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित की गई है, जहां रोजाना लोग पहुंचते हैं। विशेष रूप से महाशिवरात्रि और रामनवमी पर यहां पूजा अर्चना के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
65 साल पहले पहाड़ में रहती थी आयतीबाई पुजारी
रामाबुटी में 1960 में एक महिला को प्रथम पुजारी के रूप में दर्शाया गया है, जिसका नाम आयतीबाई वड्डे है। लगभग 60 साल पहले रामाबुटी एक वीरान निर्जन स्थल रहा होगा। आज वहां पहाड़ में चढ़ने के लिए पक्की सीढ़ियां बन गई है, लेकिन उस समय कोई साधन नहीं रहा होगा। लेकिन महिला का पुजारी के रूप में वहां होना आश्चर्यचकित करता है।
चट्टान से निकले हैं पौधे और लताएं
रामाबुटी पहाड़ में सभी तरफ केवल चट्टान है और चट्टानों से ही पौधे और लताएं निकली है, जो पूरे पहाड़ को हराभरा बनाए रखती है। यहां आकर घंटों बैठने वाले लोग सुकून का अनुभव करते हैं। यह भी सोचनीय बात है कि चट्टान से निकले पौधे और लताएं जल की तरह चमत्कार का एक स्वरूप है।
बिजली का उपयोग नहीं
नगर पालिका किरंदुल की अध्यक्ष रूबी सिंह ने हरिभूमि से चर्चा में कहा कि, रामाबुटी पहाड़ एक चमत्कारिक स्थल है, जहां पहाड़ के ऊपर जल का कोई स्रोत नहीं है। पानी किसी नदी, नाले या गुफा से निकलने का कोई जानकारी भी नहीं है। केवल चट्टान से पानी रिसता रहता है। जलधारा की रफ्तार भी काफी तेज बहती है। किरंदुल के 10 वार्ड के अलावा कोड़ेनार पंचायत और रेलवे कॉलोनी में भी यहां का पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि विशेष बात यह है कि राज्य का पहला नगरीय निकाय है, जहां बिजली का उपयोग पानी सप्लाई में नहीं होता है। यहां खर्च भी मामूली होती है जो केवल टंकी में पानी को साफ करने के लिए जो केमिकल उपयोग होता है उसी में राशि खर्च होती है।
7-8 बड़े टैंक में स्टोर होता है पानी
किरंदुल नगर पालिका के अध्यक्ष रूबी सिंह ने बताया कि, लौह नगरी के रामाबुटी चट्टान से प्रतिदिन 7 लाख लीटर से अधिक पानी निकलता है, जिसे बड़े-बड़े 7-8 टैंक में स्टोर किया जाता है। उसके बाद उसे वाडों में सप्लाई किया जाता है। कई साल से इस चट्टान के पानी को किरंदुल के लोग पीते चले आ रहे हैं लेकिन कहीं भी आयरन की मात्रा या अन्य खनिज तत्व का कोई असर लोगों के स्वास्थ्य पर नहीं पड़ा है। यहां का जल पूरी तरह शुद्ध है और यह राज्य का एक मात्र नगरीय निकाय है, जहां पानी सप्लाई में न्यूनतम खर्चा आता है। शासन को रामाबुटी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने प्रयास करना चाहिए।