मदर्स-डे विशेष: प्रीमैच्योर शिशुओं को दूध डोनेट कर दे रहीं नई जिंदगी

समाजसेवी अंकिता पांडेय दूसरों के प्रीमैच्योर बच्चों की सांसों का सहारा बन रही हैं। दूध डोनेट नई जिंदगी कर दे रहीं ।

Updated On 2025-05-11 10:30:00 IST

समाजसेवी अंकिता पांडेय 

ललित राठोड़ -रायपुर। शहर की समाजसेवी अंकिता पांडेय उन चंद महिलाओं में हैं, जो 'मां' की परिभाषा को केवल अपने बच्चे तक सीमित नहीं रखतीं। दूसरों के प्रीमैच्योर बच्चों व उन नवजात बच्चों की सांसों का सहारा बन रही हैं, जिनकी मां उन्हें अपना दूध नहीं पिला पातीं। मां का दूध हर नवजात के लिए अमृत समान होता है और जब कोई बच्चा इससे वंचित हो जाए, तब अंकिता उनके लिए 'दूसरी मां' बन जाती हैं। यह शुरुआत तब हुई, जब एक बार समय से पहले जन्मा सात माह का बच्चा जिंदगी से जूझ रहा था और उसकी मां उसे दूध नहीं पिला पा रही थी। अंकिता ने आगे बढ़कर उस शिशु, को अपना दूध दिया और यहीं से उन्होंने ठान लिया कि वे 'ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन' जैसे संवेदनशील विषय पर काम करेंगी। अंकिता मानती हैं कि समाज में आज भी स्तनपान को लेकर शर्म और संकोच है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। जब आप गांव की महिलाओं से दूध दान की बात करते हैं, तो वे हंसने लगती हैं। उन्हें इसकी अहमियत ही नहीं पता। अब अंकिता इस विषय पर जागरूकता फैलाने में जुटी हैं। वह बताती हैं कि मां का दूध समय से पहले जन्मे या कमजोर बच्चों के लिए वरदान होता है। उनके इस अभियान में कई महिलाएं जुड़ रही हैं और हर दिन कोई न कोई नवजात उनके इस कार्य से नया जीवन पा रहा है।

नज़र के डर से पीछे हट जाती हैं महिलाएं

अंकिता बताती हैं कि, उन्होंने अपना स्तन दूध उन नवजात शिशुओं को देती हैं, जिनका जन्म के समय वजन मात्र 700 ग्राम या 1.5 किलोग्राम होता है। ऐसे बच्चे समय से पहले जन्मे, प्रीमैच्योर होते हैं और बेहद नाजुक स्थिति में रहते हैं। नवजात शिशु के लिए 2 से 3 एमएल दूध ही जीवनदायी साबित होता है, जो उनके छोटे से पेट के लिए काफी होता है। अंकिता ने महसूस किया कि अस्पताल में कई महिलाएं ऐसी भी थीं जो अपने अतिरिक्त दूध को देने से हिचकती थीं। उनकी सोच थी कि दूध दोगी, तो नज़र लग जाएगी। इस सोच ने कई नवजातों को जरूरी पोषण से वंचित कर दिया, लेकिन अंकिता ने नज़र और समाज की सोच की परवाह किए बिना जो कदम उठाया, उसने न सिर्फ बच्चों को जीवन दिया, बल्कि समाज की रूढ़ियों को भी चुनौती दी।

पहल से जुड़ीं कई मताएं

अंकिता की बेस्ट मिल्क डोनेशन मुहिम अब एक प्रेरणा बन चुकी है। उनकी इस नेक शुरुआत से शहर की कई महिलाएं जुड़ चुकी है। बातचीत में अंकिता ने बताया कि, बिट्ट दुबे, साक्षी यादव, खुशी साहू, सुप्रिया, करुणा समेत अन्य माताएं अब उन नवजात शिशुओं की मदद कर रही हैं, जिनकी मां किसी कारणवश अपने बच्चों को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं दे पा रही हैं। इन सभी महिलाओं ने मां होने की जिम्मेदारी से आगे बढ़ते हुए दूसरों के बच्चों के लिए भी ममता दिखाई है। खास बात यह है कि इस पहल से जुड़ी हर महिला स्वयं भी एक मां है।

Similar News