जशपुर की माटी से उभरता आत्मनिर्भरता का ब्रांड: 'जशप्योर' ब्रांड को मिली केंद्रीय कृषि मंत्री की सराहना
जशपुर जिले में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं द्वारा तैयार 'जशप्योर' उत्पादों की सराहना की।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और मंत्री शिवराज सिंह चौहान
रायपुर। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक स्वाद और स्वावलंबन की भावना से सजे 'जशप्योर' ब्रांड ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी रायपुर में 'जशप्योर' उत्पादों की प्रशंसा की और इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल बताया। 'जशप्योर' न केवल एक ब्रांड है, यह छत्तीसगढ़ी माटी की महक, आदिवासी बहनों की मेहनत और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का प्रतीक बन चुका है।
छत्तीसगढ़ की पहचान है जशप्योर ब्रांड
उल्लेखनीय है कि, मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उन्हें जशपुर जिले के स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा तैयार की गई जशप्योर ब्रांड की खाद्य पदार्थों से सुसज्जित विशेष परंपरागत टोकरी भेंट की। छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुके 'जशप्योर' ब्रांड की यह टोकरी केवल उपहार नहीं थी, बल्कि आत्मनिर्भरता, परिश्रम और स्वदेशी कौशल का एक जीवंत प्रतीक थी। छींद कांसा की हस्तनिर्मित टोकरी में सजाए गए उत्पादों में डेकी, कुटा, जवां फूल चावल, टाऊ पास्ता, महुआ कुकीज, रागी, मखाना लड्डू, महुआ गोंद लड्डू, महुआ च्यवनप्राश, ग्रीन टी, शहद और हर्बल सिरप जैसे विविध उत्पाद शामिल थे। केंद्रीय मंत्री चौहान ने उत्पादों में गहरी रुचि दिखाई और प्रत्येक वस्तु की जानकारी बड़े उत्साह से ली। उन्होंने कहा कि, इन उत्पादों में केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि हमारे जनजातीय समुदाय का परिश्रम और गौरव झलकता है।
छत्तीसगढ़ की नींव गढ़ रही ये महिलाएं
Jashpur Jashpure brand appreciated Union Agriculture Minister Shivraj singh CM Saiमुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर कहा कि, हमारी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को आत्मसात करते हुए, ऐसे लोकल ब्रांड्स को सशक्त बना रही है। जो न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवंत बनाए रखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, छत्तीसगढ़ की स्व सहायता समूहों की महिलाएं केवल उत्पाद नहीं बना रहीं, बल्कि आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की नींव गढ़ रही हैं।