अजीब जनहित याचिका: भांग की व्यावसायिक खेती को परमिट करने की मांग, हाईकोर्ट ने खारिज कर सुरक्षा निधि भी की जब्त
छत्तीसगढ़ में भांग की व्यावसायिक खेती की वकालत करते हुए दायर की गई जनहित याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में भांग की व्यावसायिक खेती की वकालत करते हुए दायर की गई जनहित याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि कोई भी जनहित याचिका तब तक नहीं चलेगी जब तक कि इसमें व्यक्तिगत हित शामिल हों। याचिकाकर्ता ने जनहित की आड़ में इस न्यायालय से संपर्क कर ऐसे निर्देश मांगे जो राज्य की विधायी और कार्यकारी नीति के दायरे में आते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान याचिका एक ऐसी याचिका है जिसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कहा जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत जनहित में अधिकार क्षेत्र का आह्वान किया जा सके वैसी याचिका नहीं है।
हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता एस. ए. काले ने जनहित याचिका दायर कर प्रतिवादी अधिकारियों को छत्तीसगढ़ के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए 'गोल्डन प्लांट' भांग के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों का दोहन करने सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की।
नीतिगत निर्णय लेने का निर्देश नहीं दे सकते
याचिकाकर्ता ने जनहित की आड़ में इस व्यायालय से संपर्क किया है, जिसमें ऐसे निर्देश मांगे गए हैं जो राज्य की विधायी और कार्यकारी नीति के दायरे में आते हैं। न्यायालय सरकार को नीतिगत निर्णय लेने का निर्देश नहीं दे सकती, खासकर मादक पदार्थों पर नियंत्रण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में। कोर्ट ने यह भी कहा कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत भांग की खेती प्रतिबंधित है, सिवाय विशिष्ट अनुमति उद्देश्यों और वैधानिक प्रक्रिया के। भांग की खेती आम तौर पर चिकित्सा, वैज्ञानिक, औद्योगिक या बागवानी उद्देश्यों को छोड़कर और केवल सरकारी प्राधिकरण के साथ ही की जा सकती है।