15 साल से सेवाएं दे रहे अनुदेशकों ने रखी मांग: हमें बनाया जाए सहायक शिक्षक, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों के पोटाकेबिनों में 15 वर्षों से शिक्षा दे रहे अनुदेशकों ने सहायक शिक्षक पद में मर्ज, 4 प्रमुख मांग को लेकर पत्र सौंपा है।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-08-16 13:35:00 IST

बाल आवासीय विद्यालय 

पंकज भदौरिया - दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जब नक्सलवाद चरम पर था और शिक्षा बस्तर में डगमगा रही थी। तब बस्तर के माओवाद प्रभावित चार जिलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार ने आवासीय व्यवस्था बनाई। दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर में अस्थाई बांस के घरों में नक्सलियों से पलायन आदिवासियों के बच्चों को रखकर सरकार ने शिक्षित करने के लिए अवासीय व्यवस्था बनाई हैं।

इस व्यवस्था को नाम दिया पोटाकेबिन और उन पोटाकेबिनो में क्षेत्रीय पढ़े-लिखे युवा युवतियों को बतौर अनुदेशक के पद पर समग्र शिक्षा मिशन के तहत रखकर शिक्षा का उजियारा फैलाने का जिम्मा सौपा गया।


प्रशासनिक स्तर पर सरकार तक मांग रख रहे
यह सिलसिला तब से लेकर आज तक 15 वर्ष बीतने के बाद भी लगातार चला आ रहा है। इसमें सेवाएं देने वाले अनुदेशक नाम मात्र की छोटी सी तनख्वाह में लगातार आवासीय पोटाकेबिनो में रहकर अपनी सेवाएं बतौर शिक्षक दे रहे हैं। पर इन्हीं अनुदेशकों की वेतनवृद्धि हो या टीआईटी शिथिलीकरण की मांग जिसे लगातार लंबे वक्त से अनदेखा किया जा रहा है। जिसके चलते अब लगातार अनुदेशक अपने-अपने जिलों में प्रशासनिक स्तर पर सरकार तक अपनी मांग रख रहे हैं।




4 बिंदुओं में एक निवेदन पत्र
दंतेवाड़ा जिले में भी अनुदेशक संघ की दंतेवाड़ा इकाई ने कलेक्टर को टीआईटी शिथिलीकरण और उनके पदों को सहायक शिक्षक में मर्ज करने के संबंध में 4 बिंदुओं में एक निवेदन पत्र भी दिया है। ताकि उनकी मांग राज्य स्तर तक पहुँच सके।


ये हैं चार प्रमुख मांगें
पत्र के माध्यम से संघ ने कहा कि, विगत 15 सालों से अनुदेशक शैक्षणिक कार्य समग्र शिक्षा अंतर्गत पोटाकेबिनो में मौखिक आदेशो के आधार पर कर रहे हैं। बस्तर के पिछड़े और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार के शैक्षणिक प्रतिशत को बढ़ाने और बच्चों के सर्वागीण विकास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका लगातार निभा रहे हैं।


पोटाकेबिन के सेटअप में सुधार की मांग
पत्र के माध्यम से मांग की गई है कि, अनुदेशकों को सहायक शिक्षक की पात्रता दी जाए। तथा 15 वर्षो के अनुभव और डीएलएड के आधार पर टीआईटी को शिथिलीकरण कर स्थानीय भर्ती के आधार पर बस्तर विकास प्राधिकरण से भर्ती की मांग की है। मौखिक आदेश की जगह लिखित आदेश विभाग दे और अनुदेशकों को पार्ट टाइम शिक्षक की जगह पूर्णकालिक शिक्षक माने, बस्तर संभाग में 5000 शिक्षक भर्ती में अनुदेशकों को प्राथमिकता मिले। साथ ही पोटाकेबिन के सेटअप में भी सुधार किया जाए।

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