चित्रकोट जलप्रपात: मानसून में क्यों कहलाता है भारत का 'नियाग्रा फॉल्स'?

मानसून में छत्तीसगढ़ का चित्रकोट जलप्रपात अपनी भव्यता और खूबसूरती से पर्यटकों को मोहित करता है। जानें इसे भारत का 'नियाग्रा फॉल्स' क्यों कहा जाता है।

Updated On 2025-08-23 16:11:00 IST

भारत का नियाग्रा कहलाने वाले चित्रकोट जलप्रपात का विहंगम दृश्य

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे छक्षिणी छोर पर बसे बस्तर संभाग में स्थित है चित्रकोट जलप्रपात। यह भारत के नियाग्रा फॉल्स के रूप में दुनियाभर में पहचाना जाता है। इंद्रावती नदी की जलधारा से बनने वाला फाल बरसात में 300 मीटर चौड़ी हो जाती है। 95 फीट की ऊँचाई से गिरता नदी का पानी अत्यंत वेगवान होने के कारण प्रचंड गर्जना के साथ हवा में महीन फुहारें और धुंध बनाती है। इसका फैलाव ही इसे अमेरिका-कनाडा सीमा पर स्थित नियाग्रा फॉल्स जैसा भव्य रूप प्रदान करता है। 


95 फीट की ऊँचाई से गिरता है नदी का पानी
चित्रकोट जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है, जो गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह जलप्रपात जगदलपुर से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में घने जंगलों के बीच स्थित है। नदी यहाँ पर लगभग 95 फीट (29 मीटर) की ऊँचाई से गिरती है। गर्मी और शुष्क ऋतु में चित्रकोट जलप्रपात अपेक्षाकृत शांत और संकुचित दिखाई देता है, परंतु जैसे ही मानसून आता है, इंद्रावती नदी उफान पर आ जाती है। उस समय जलप्रपात का फैलाव 300 मीटर तक चौड़ा हो जाता है। गिरते हुए पानी का वेग और गर्जना इतनी प्रचंड होती है कि दूर से ही उसका स्वर सुनाई देने लगता है। यह विराट स्वरूप ही इसे नियाग्रा फॉल्स की भव्यता से तुलना योग्य बनाता है। 


आसमान खुला तो इंद्रधनुष देखने जैसा होता है अहसास
नियाग्रा फॉल्स अपनी विशाल चौड़ाई के लिए प्रसिद्ध है, वैसे ही मानसून में चित्रकोट भी विशाल परदे की तरह चौड़ा हो जाता है। जलप्रपातों में गिरते पानी से उठने वाली फुहारें धूप के साथ मिलकर इंद्रधनुष का निर्माण करती हैं। पर्यटक मानसून के समय चित्रकोट जलप्रपात के पास पहुँचकर उसकी प्रचंडता और प्राकृतिक सौंदर्य का रोमांचक अनुभव प्राप्त करते हैं। चित्रकोट केवल प्राकृतिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसके आसपास कई घने जंगल, आदिवासी संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं से जुड़े स्थल हैं। स्थानीय जनजातियाँ इस जलप्रपात को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मानती हैं और इसकी पवित्रता परंपराओं में गहराई से रची-बसी है। 


जलप्रपात पर्यटन और आकर्षण का केंद्र
चित्रकोट जलप्रपात को देखने का सबसे उपयुक्त समय जुलाई से अक्टूबर के बीच का माना जाता है। इस दौरान यहाँ का नजारा इतना अद्भुत होता है कि पर्यटक इसे भारत का नियाग्रा फॉल्स कहने से नहीं चूकते। राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नौकायन, प्रकाश सज्जा और दर्शक दीर्घाओं जैसी सुविधाएँ विकसित की गई हैं। हालाँकि, यह जलप्रपात प्राकृतिक धरोहर है, परंतु मानव गतिविधियों और अनियंत्रित पर्यटन से इसके पर्यावरण पर असर पड़ सकता है। इसके संरक्षण के लिए जल-प्रदूषण पर नियंत्रण, वनों की सुरक्षा और टिकाऊ पर्यटन की आवश्यकता है।

ऐसे पहुंच सकते हैं चित्रकोट प्रपात

1. ✈️ हवाई मार्ग-

  • सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट- जगदलपुर हवाई अड्डा (लगभग 40 किमी दूर)।
  • रायपुर (लगभग 300 किमी दूर) और विशाखापट्टनम (लगभग 280 किमी दूर) से भी फ्लाइट उपलब्ध हैं।
  • एयरपोर्ट से टैक्सी, बस या निजी वाहन लेकर चित्रकोट पहुँचा जा सकता है।

2. 🚆 रेल मार्ग-

  • नज़दीकी रेलवे स्टेशन – जगदलपुर रेलवे स्टेशन (लगभग 40 किमी)।
  • यहाँ से टैक्सी/ऑटो या बस लेकर चित्रकोट जाया जा सकता है।
  • रायपुर, दुर्ग, विशाखापट्टनम और भुवनेश्वर से सीधी ट्रेनें मिल जाती हैं।

3. 🚌 सड़क मार्ग-

  • जगदलपुर से दूरी – 40 किमी (लगभग 1 घंटे का सफर)।
  • रायपुर से दूरी – 300 किमी (6–7 घंटे)।
  • सड़कें अच्छी हैं, आप बस, टैक्सी या अपनी कार से जा सकते हैं।
  • नियमित बसें जगदलपुर से चित्रकोट तक चलती हैं।
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