हाईकोर्ट का अहम फैसला: 'आई लव यू' कहना यौन उत्पीड़न नहीं, आरोपी बरी

हाईकोर्ट ने पाक्सो और एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में कहा कि सिर्फ 'आई लव यू' कहने मात्र से यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता। आरोपी को बरी कर दिया।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-07-26 10:27:00 IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

पंकज गुप्ते - बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पाक्सो और एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए साफ किया है कि "सिर्फ 'आइ लव यू' कहने भर से किसी पर यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया जा सकता, जब तक कि उसमें यौन मंशा स्पष्ट न हो।

जस्टिस संजय एस. अग्रवाल के सिंगल बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने माना कि, इस मामले में अभियोजन पक्ष न तो पीड़िता की नाबालिग होने की उम्र सिद्ध कर सका, न ही आरोपित के व्यवहार में यौन उद्देश्यता साबित कर पाया।

तो ये है पूरा मामला
दरअसल, धमतरी जिले के कुरूद थाना क्षेत्र की एक नाबालिग छात्रा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि, स्कूल से लौटते वक्त एक युवक उसे देखकर ‘आइ लव यू’ कहता था और पीछा करता था। छात्रा ने यह भी बताया कि, युवक पहले से उसे परेशान कर रहा था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर युवक के खिलाफ आईपीसी की धारा 354D (पीछा करना), 509 (लज्जा भंग), पाक्सो एक्ट की धारा 8 तथा एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(वीए) के तहत मामला दर्ज किया था।

ट्रायल कोर्ट में ये हुआ
मामले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट ने पाया कि, न तो पीड़िता की उम्र को साबित करने के लिए कोई प्रामाणिक दस्तावेज प्रमाणित किया गया, और न ही स्कूल रिकॉर्ड पेश किया गया। जन्म प्रमाण पत्र लाया तो गया, लेकिन उसे सत्यापित करने कोई गवाह कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ। इस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने युवक को दोषमुक्त कर दिया है।

हाईकोर्ट की टिप्पणी
इस निर्णय को सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि, यौन उत्पीड़न की परिभाषा के तहत केवल शारीरिक संपर्क या कथन पर्याप्त नहीं है, जब तक उसमें यौन मंशा न हो। पीड़िता और उसकी सहेलियों की गवाही से यह साबित नहीं हो सका कि, आरोपी ने कोई अश्लील या अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया हो या उसका व्यवहार यौन इरादे से प्रेरित रहा हो। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, 'आइ लव यू' कहना मात्र एक बार का कथन है, जिसे यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

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