ठाकुर पारा से टीम इंडिया तक का सफर: जानिए इंडियन वुमेंस क्रिकेट टीम की फिजियो आकांक्षा सत्यवंशी का सफरनामा
कवर्धा की बेटी ने महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप ट्रॉफी जिताने में फिजियोथैरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंस विशेषज्ञ की भूमिका निभाई। इस उपलब्धि पर देश- प्रदेश गौरान्वित हुआ है।
कवर्धा की फिजियोथैरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंस विशेषज्ञ आकांक्षा
महेश मिश्रा- कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा की बेटी ने महिला क्रिकेट टीम के वर्ल्ड जीतने में बड़ी भूमिका निभाई है। आकांक्षा सत्यवंशी ने बतौर फिजियोथैरेपिस्ट क्रिकेटर्स को मजबूत बनाया। ऐसे में आइये जानते हैं कौन है आकांक्षा सत्यवंशी और अब तक का उनका सफ़र कैसा रहा है। जिसने ठाकुर पारा की बेटी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला दी।
आकांक्षा सत्यवंशी मूलरूप से कवर्धा के ठाकुर पारा की रहने वाली है। उन्होंने राज्य स्तर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति प्राप्त किया है। आकांक्षा ने मेडिकल की पढ़ाई छत्तीसगढ़ में की और मास्टर्स कटक (ओडिशा) में पूरा किया। उन्होंने फिजियोथेरेपी के क्लास में भाग लेते ही महसूस किया कि, यही उनके लिए सही क्षेत्र है।
पिता पीएचई विभाग से सेवानिवृत्त हैं
आकांक्षा के पिता कवर्धा पीएचई विभाग में एसडीओ के पद में रह चुके है और सेवानिवृत्त हो चुके है। वर्तमान में रायपुर राजधानी में निवासरत हैं। महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप ट्रॉफी की ऐतिहासिक जीत में आकांक्षा ने फिजियोथैरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंस विशेषज्ञ की भूमिका में अहम योगदान दिया है।
छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ से भी जुड़ी
आकांक्षा ने शुरुआत में छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ से जुड़कर काम किया और इसके बाद बीसीसीआई ने उन्हें राष्ट्रीय महिला टीम के असिस्टेंट फिजियो के रूप में मौका दिया। उनका प्रमुख काम था वान- 19 महिला टीम और सीनियर महिला टीम की खिलाड़ियों की फिटनेस, रिकवरी और प्रदर्शन को बेहतर बनाए रखना। उदाहरण के लिए, वान-19 महिला वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में उन्होंने खिलाड़ियों को चोट- प्रबंधन और थैरेपी के माध्यम से शीर्ष स्तर पर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जिलेवासियों में ख़ुशी की लहर
जब भारतीय महिला टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहला महिला वनडे वर्ल्ड कप खिताब अपने नाम किया, तब पूरा देश जश्न में था। इस जीत के पीछे टीम की तैयारियों का वैज्ञानिक आधार रहा जिसमें आकांक्षा की भूमिका दर्ज-अमर है। उनकी देख-रेख में फिटनेस, थैरेपी, इंजरी प्रिवेंशन और रिकवरी पर विशेष ध्यान दिया गया। जिले के लोगों ने इस उपलब्धि पर गौर किया क्योंकि कवर्धा की बेटी ने इस जश्न में अपना भूमिका निभाया। राज्य सरकार के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी आकांक्षा को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि इस प्रेरणादायी काम से पूरा छत्तीसगढ़ गर्व महसूस कर रहा है।
पर्दे के पीछे के लोगों की होती है विशेष भूमिका
आकांक्षा ने चिकित्सकीय विज्ञान और मेडिकल सपोर्ट सिस्टम में अपनी पहचान बना ली है। अब उनका लक्ष्य सिर्फ समर्थन- कर्म में नहीं, बल्कि खेल-मेडिकल रिसर्च एवं उच्च- प्रदर्शन प्रणालियों के विकास में योगदान देना है। उनकी कहानी यह दिखाती है कि, सिर्फ मैदान पर खेलकर ही नहीं, बल्कि खेल के पीछे खड़े विशेषज्ञों के योगदान से भी बड़े- बड़े लक्ष्य हासिल होते हैं। इस प्रकार, कवर्धा- छत्तीसगढ़ की आकांक्षा सत्यवंशी आज न केवल अपने जिले बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं एक ऐसी महिला- विजेता समर्थन-कर्मी के रूप में, जिनका काम कम दिखता है लेकिन प्रभाव बहुत गहरा है।