नगरीय निकायों में अब नहीं चलेंगे ‘रिश्तेदार प्रतिनिधि': चुने हुए जनप्रतिनिधि ही संभालेंगे जिम्मेदारी, NHRC के निर्देश पर सख्त आदेश जारी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर नगरीय निकायों में बड़ा फैसला। अब महिला जनप्रतिनिधियों की जगह उनके पति या रिश्तेदार काम नहीं कर सकेंगे।

Updated On 2025-12-26 10:01:00 IST

महानदी भवन

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों, नगर निगम, पालिका और नगर पंचायतों में अब चुने हुए पार्षदों, खासकर महिलाओं के रिश्तेदार, नातेदार, उनके प्रतिनिधि के रूप में शामिल नहीं हो सकते। खास बात ये है कि, इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया था। इस संबंध में हरिभूमि ने पिछले दिनों प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था।

नेता अपने रिश्तेदारों को बना रहे हैं प्रतिनिधि
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मिली शिकायत में सांसदों, विधायकों, द्वारा निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के रिश्तेदारों को अपने संपर्क व्यक्ति या प्रतिनिधि के रूप में अनौपचारिक रूप से नियुक्त करने का मुद्दा भी उठाया गया है। पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में, जिसके परिणामस्वरूप संवैधानिक रूप से अधिदेशित स्थानीय स्वशासन निकायों के कामकाज में अनुचित हस्तक्षेप होने का आरोप है। ऐसी प्रथाओं का आरोप न केवल लोकतांत्रिक लोकाचार को नष्ट करता है बल्कि भारत के संविधान में निहित हस्तांतरण के सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है।

छत्तीसगढ़ सहित राज्यों को नोटिस दिया था
इस पूरे मामले को लेकर आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पीठ ने लोगों के मानवाधिकारों और महिलाओं के सम्मान के अधिकार की सुरक्षा के मामले में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत संज्ञान में लिया है।

अब नगरीय प्रशासन ने जारी किया ये आदेश
इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा अन्य राज्यों सहित छत्तीसगढ़ को नोटिस दिए जाने के बाद अब राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने आदेश जारी किया है। कहा गया है कि विभाग के संज्ञान में लाया गया है कि कतिपय नगरीय निकायों में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक रिश्तेदार नातेदार को प्राक्सी प्रतिनिधि, लायजन पर्सन होने के कारण सभी नगरीय निकायों के अनुच्छेद 15(3) व अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हो रहा है। विभाग ने सभी निगम आयुक्त मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित किया है कि शीघ्र अपने-अपने निकायों में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के पारिवारिक रिश्तेदार नातेदार जो नामांकित जनप्रतिनिधि हैं, के संबंध में परीक्षण कर सांसद, विधायकों से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के पालन हेतु अवगत कराएं एवं अन्य नामांकित जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति के लिए आवश्यक कार्यवाही करें।

सरपंच पति अवैधानिक : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अब से दो साल पहले कहा था कि निर्वाचित महिला सरपंचों के पतियों और अन्य पुरुष रिश्तेदारों द्वारा उनकी ओर से अधिकारों का प्रयोग करना असंवैधानिक और गैरकानूनी प्रथा है। सरपंच पतियों के दखल को अनुचित माना गया था, इसी आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इसकी जांच कर रहा है। सरपंचों के अल्बाबा यह भी देखा जा रहा है कि सांसद, विधायक व पार्षद अपने रिश्तेदारों को प्रतिनिधि के, रूप में नियुक्त तो नहीं कर रहे हैं? इसे असंवैधानिक बताया गया है।

Tags:    

Similar News