मेजर यशवंत गोरे शहादत दिवस: पूर्व सैनिकों ने वीरता को किया नमन
वीर सपूत मेजर यशवंत गोरे युद्ध के दौरान सियालकोट सेक्टर में 15 सितंबर 1965 को मातृभूमि की अखंडता एवं स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
शहीद मेजर यशवंत गोरे की छायाप्रति पर माल्यार्पण करते पूर्व सैनिक
रायपुर। छत्तीसगढ़ माटी के वीर सपूत मेजर यशवंत गोरे जो 1957 में सिग्नल कोर (भारतीय थलसेना) में भर्ती हुए थे। मेजर या यशवंत गोरे सन 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सियालकोट सेक्टर में दिनांक 15 सितंबर 1965 को मातृभूमि की अखंडता एवं स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। भारत सरकार ने उन्हें उनके कर्तव्य निष्ठा पर बलिदानी घोषित किया उनके अदम्य साहस और समर्पण को देश हमेशा याद करता रहेगा।
युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में शहीद सैनिकों की पत्नी अथवा उनके आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि में वृद्धि करते हुए इसे 20 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में विभिन्न वीरता अलंकरण प्राप्त जवानों को दी जाने वाली राशि में भी वृद्धि की गई है। अब परमवीर चक्र प्राप्त वीर जवानों को 40 लाख रुपये की जगह 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी। यह महत्वपूर्ण निर्णय आज सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में सम्पन्न राज्य सैनिक बोर्ड की बैठक में लिया गया।
सीएम साय ने जवानों के बलिदान को किया नमन
आज मंत्रालय महानदी भवन में सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में सैनिक कल्याण विभाग की 6वीं राज्य सैनिक समिति की बैठक सम्पन्न हुई। इस अवसर पर सीएम श्री साय ने कहा कि हमारे सैनिक देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर करते हैं। हम उनके शौर्य और बलिदान को नमन करते हैं। सरकार भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए सदैव प्रतिबद्ध है। बैठक में शहीदों की वीर नारियों, भूतपूर्व सैनिकों, विधवाओं एवं उनके आश्रितों के लिए राज्य द्वारा संचालित कई कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की गई।