धान पर कीटों का हमला: कीटनाशक नहीं कर रहे असर, मुश्किल में किसान

राज्य के कई इलाकों में मौसम में उतार चढ़ाव के बीच धान की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ने लगा है।

Updated On 2025-10-04 11:23:00 IST

File Photo 

रायपुर। राज्य के कई इलाकों में मौसम में उतार चढ़ाव के बीच धान की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ने लगा है। पिछले 15 दिनों में माहू कीट ने बालियां निकलने से पहले ही फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि किसानों द्वारा इसके असर को कम करने के लिए कीटनाशक का भी छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन इसका असर नहीं हो रहा। इस वजह से किसानों ने आशंका जताई है कि नकली कीटनाशक होने की वजह से ऐसे हालात बन रहे हैं।

हरिभूमि ने प्रदेश धमतरी, दुर्ग-भिलाई और जगदलपुर में हो रही खेती-किसानी कार्य का मुआयना किया। इस दौरान फसलों पर कीटों के हमले मुआयना किया। इस दौरान फसलों पर कीटों के हमले और कीटनाशकों के निष्प्रभाव होने की जानकारी सामने आई। बताया जा रहा है कि दुर्ग जिले में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में अंडा, ओटेबंद, सिरसिदा, परसदा, सुखरी, गोरकापार, मचांदुर, कातरो, खोपली, फुंडा, रानीतराई सहित पाटन शामिल हैं।

जगदलपुर में ब्लास्ट, फाल्स स्मट के लक्षण भी दिख रहे
बस्तर में धान और मक्के की फसल लहलहा रही है। खंड वर्षा और अतिवृष्टि के चलते कहीं कहीं कीट प्रकोप का असर फसल में हो रहा है। किसान दुकानदारों से कीटनाशक दवाई लेकर फसल में छिड़काव कर रहे है, लेकिन कहीं किसान दवा स्प्रे से कीट प्रकोप का असर कम होने की बात कह रहे हैं तो किसी गांव का किसान कीटनाशक दवा प्रभावशाली नहीं होने की बात भी कह रहे हैं। बकावंड ब्लाक के पाहुरबेल के युवा किसान गुलशन भारती ने कहा कि उन्होंने 5 एकड़ में धान का फसल लगाया है। जहां ट्रीडियम दवा का स्प्रे किया गया है। बावजूद कीट प्रकोप का असर दिख रहा है। कुरंदी के किसान उडदो ने बताया कि मक्का फसल में कीड़ा फाल आर्मी वर्म की बीमारी हो रहा है। जिसके लिए इमा मेक्टिन बेंजोएट, इन्सेक्टिकसाइट दवा का छिड़काव किया गया है। दवा स्प्रे के बाद भी पूरी तरह से बीमारी दूर नहीं हुआ है।

कीटनाशक के उपयोग में गलती कर रहे
कृषि विज्ञान केंद्र पाहंदा के वैज्ञानिक ईश्वरी साहू ने बताया कि,किसान कीटनाशक के उपयोग में गलती कर रहे हैं, इस वजह से उन्हें दिक्कत हो रही है। भूरा माहू में एक से अधिक प्रकार की दवा को मिलाकर उपयोग में लाया जा रहा है, जबकि यह गलत है। केवल दवा का निर्धारित मात्रा में उपयोग होना चाहिए। मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए। दवा का छिड़काव ऊपर-ऊपर न कर तने में करना चाहिए। इसके बाद इसका असर तीन दिन में नजर आने लगता है। कीटनाशक की क्वालिटी को लेकर ऐसे चैलेंज नहीं किया जा सकता, इसकी जांच लैब में कराई जानी चाहिए।

धमतरी में 7 से 8 दफा दवा का इस्तेमाल
धमतरी में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से नदी, तालाब सहित अन्य जलस्त्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। साल दर साल कीट प्रकोप इतना बढ़ रहा है कि किसान अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं। किसी ने सात बार, तो किसी ने आठ बार कीटनाशकों का छिड़काव किया है। इसके बाद भी कीट प्रकोप खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में किसान फिर से छिड़काव की तैयारी कर रहे हैं। लगातार कीटनाशकों के प्रयोग से खेतों का पानी जहरीला हो गया है। यही पानी खेतों से ओवरफ्लो होकर तालाब, पोखर, नदी जैसे जलस्त्रोतों में स्टोर होता है। धान की खेती से हर साल कीट प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

Tags:    

Similar News