धर्मांतरण पर सख्त रुख: सिड़मुर ग्रामसभा ने पादरियों के गांव में प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध, सर्वसम्मत से लिया गया निर्णय

सिड़मुर पंचायत ने बड़ा फैसला लेते हुए पादरियों के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है। धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए फैसला लिया गया है।

Updated On 2025-10-26 12:46:00 IST

सिड़मुर ग्रामसभा ने पादरियों के गांव में प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध

जगदलपुर। बस्तर जिला मुख्यालय से लगे सिड़मुर गांव में ग्रामसभा ने एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाते हुए ईसाई धर्म प्रचारकों और पादरियों के गांव में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। धर्मांतरण के बढ़ते मामलों और बाहरी प्रचारकों की गतिविधियों को देखते हुए यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। इस निर्णय के बाद ग्रामसभा ने गांव के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा पोस्टर चस्पा कर सभी को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अब कोई भी बाहरी व्यक्ति धार्मिक प्रचार या धर्मांतरण के उद्देश्य से गांव में प्रवेश नहीं कर सकेगा।

ग्रामसभा में उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि, पिछले कुछ वर्षों से गांव में बाहरी लोगों की आमद बढ़ी थी। ये लोग ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। ग्रामीणों ने कहा कि यह प्रवृत्ति गांव के सामाजिक ताने-बाने और पारंपरिक सौहार्द्र पर असर डालने लगी थी। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि बीते 10 से 12 वर्षों में धीरे-धीरे गांव में ईसाई धर्मावलंबियों की संख्या बढ़ी है। इससे सामाजिक मेल-मिलाप और पारिवारिक संबंधों में दरार आने का खतरा महसूस किया जा रहा था।

ईसाई परिवारों में असमंजस का माहौल
ग्रामसभा के इस निर्णय से गांव में पहले से रह रहे कुछ ईसाई परिवारों के बीच भय और असमंजस का माहौल है। वे इस प्रस्ताव को लेकर चिंतित हैं और ग्रामसभा के रुख को लेकर भविष्य की स्थिति पर विचार कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह फैसला किसी समुदाय विशेष के विरोध में नहीं, बल्कि गांव की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।


275 परिवार एक साथ एक फैसला,एक स्वर
सिड़मुर पंचायत के लगभग 275 परिवार इस निर्णय के समर्थन में एकजुट होकर खड़े हैं। ग्राम प्रतिनिधियों का कहना है कि गांव की एकता, सामाजिक शांति और पारंपरिक संस्कृति को बचाने के लिए यह कदम जरूरी था। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण की गतिविधियों से गांव का वातावरण विषाक्त हो रहा था, जिसे रोकना अनिवार्य हो गया था।

धर्मांतरण विवाद की जड़ में ‘बाहरी प्रचारक’
ग्रामवासियों ने बताया कि कुछ वर्ष पहले विवाह के बाद गांव में आई कुछ महिलाएं ईसाई धर्म से संबंध रखती थीं, जिन्हें समाज ने सहजता से स्वीकार किया था। लेकिन बाद में बाहरी धर्म प्रचारकों के गांव में लगातार आना-जाना शुरू हुआ और उन्होंने लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे गांव में असंतोष और विभाजन की स्थिति बनने लगी, जिसे देखते हुए पंचायत ने यह कड़ा लेकिन सामूहिक निर्णय लिया।

ग्रामसभा की चेतावनी
ग्रामसभा ने यह भी साफ किया कि अब गांव में कोई भी व्यक्ति यदि धार्मिक प्रचार, चंदा संग्रह या धर्मांतरण की नीयत से आएगा, तो उसके खिलाफ सामूहिक रूप से कार्रवाई की जाएगी। ग्रामसभा का कहना है कि यह निर्णय गांव की शांति, परंपरा और सामाजिक एकता की रक्षा के लिए लिया गया है।

सिडमूढ़ ग्रामसभा का फैसला चर्चा में
सिड़मुर ग्रामसभा का यह फैसला न केवल बस्तर बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। धर्मांतरण के मुद्दे पर ग्राम स्तर पर उठाया गया यह कदम आने वाले समय में सामाजिक बहस का केंद्र बन सकता है।

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