छत्तीसगढ़ में धान खरीदी त्यौहार: सवा महीने में 47 लाख मीट्रिक टन की खरीदी

छत्तीसगढ़ में इस साल 15 नवंबर से शुरू हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बाद अब तक साढ़े 47 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदा जा चुका है।

Updated On 2025-12-22 10:19:00 IST

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल 15 नवंबर से शुरू हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बाद अब तक साढ़े 47 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदा जा चुका है, लेकिन इस सवा महीने की अवधि में केवल पौने दस लाख टन का उठाव ही उपार्जन केंद्रों से हो पाया है। धान का उठाव-परिवहन न होने के कारण धान में सूखत का खतरा भी बढ़ गया है। यही नहीं, परिवहन न हो पाने से जब उपार्जन केंद्रों की बफर लिमिट पार हो रही है, तब खाद्य विभाग में धान स्टाक की बफर लिमिट भी बढ़ा दी गई है।

राज्य के अलग-अलग जिलों में चल रही धान खरीदी के बीच ये जानकारियां भी आ रहीं है कि सोसाइटियों के उपार्जन केंद्रों में बड़ी मात्रा में धान जमा हो गया है। जिस तेजी से धान खरीदी हो रही है, उससे काफी धीमी रफ्तार से धान का उठाव हो रहा है। फिलहाल हालत ये है कि जिलों से केवल मिलरों को धान दिया जा रहा है। धान का उठाव मार्कफेड के संग्रहण केंद्रों के लिए अब तक शुरु नहीं हो पाया है।

एक नजर खरीदी के हिसाब पर
छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से शुरु हुई धान खरीदी के बाद अब तक राज्य भर में 47 लाख 51 हजार 275 मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। इसमें से केवल 9 लाख 86 हजार 646 मीट्रिक टन धान का उठाव मिलरों ने किया है। बाकी का धान उपार्जन केंद्रों में जमा है। सोसाइटी संचालकों का कहना है कि केवल मिलरों के धान उठाने से उठाव धीमा गति से हो रहा है। अगर मार्कफेड के संग्रहण केंद्रों के लिए तेजी से धान का परिवहन कराया जाए तो स्थिति नियंत्रित हो सकती है। लेकिन फिलहाल इसके कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

सूखत का संकट सोसाइटी संचालकों पर
पिछले सीजन में ही राज्य की सैकड़ों सोसाइटियों में धान में सूखत की वजह से धान की मात्रा कम हुई। जितना धान कम हुआ, उतनी ही मात्रा में धान सोसाइटी प्रबंधक धान खरीदी प्रभारी से वसूलने का आदेश जारी हुआ। जिन सोसाइटी वालों ने धान नहीं दिया उनसे धान के बराबर की राशि वसूली गई। जिन सोसाइटियों में धान की कीमत लाखों रुपए में थी, वहां राशि जमा न करने वाले प्रबंधकों के खिलाफ संबंधित थाने में एफआईआर कराई गई। इस कार्रवाई से बड़ी संख्या में सोसाइटियां फंसी। यह मामला हाईकोर्ट में गया है। इस पर अंतिम फैसला आना अभी बाकी है। पिछले साल का यह संकट अभी टला नहीं है, लेकिन सोसाइटी संचालकों को अब धान के भारी जखीरे के बीच फिर संकट नजर आ रहा है।

बफर लिमिट बढ़ा दी गई
राज्य की हर सोसाइटी में धान खरीदी के लिए धान के बफर स्टॉक की लिमिट तय की जाती है। इस लिमिट के बाद धान खरीदा नहीं जा सकता। क्योंकि उपार्जन केंद्र में धान रखने की जगह बची नहीं होती है। इधर सोसाइटी संचालकों का कहना है कि समय पर धान का परिवहन न होने से धान की बफर लिमिट पार होकर कई जगहों पर दो गुना धान जमा हो रहा है। इधर खाद्य विभाग ने धान का उठाव परिवहन कराने की जगह सोसाइटियों के उपार्जन केंद्रों की बफर लिमिट ही बढ़ा दी है। धान जमा होने से सूखत का खतरासोसाइटियों में बड़ी मात्रा में धान जमा होना सोसाइटियों और उसके प्रबंधक तथा खरीदी प्रभारी के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। दरअसल जब धान खरीदा जाता है तो उसमें नमी होती है। धान में 17 प्रतिशत तक की नमी स्वीकार की जाती है। यही नम धान जब सोसाइटियों में आता है और उसे बोरों में भरकर स्टेकिंग की जाती है, यह धान तेज धूप गरमी से सूखता है तो इसे सूखत कहा जाता है। धान में यह सूखत आने पर धान का वजन कम हो जाता है। इस कमवजनी की कीमत सोसाइटी वालों से वसूली जाती है।

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