अनूठा गांव: धमतरी जिले का एक ऐसा स्कूल, जहां न बिजली ना सड़क; तालपत्री के नीचे होती पढ़ाई
नगरी से ग्राम पंचायत खल्लारी के आश्रित ग्राम गाताबहारा की स्थिति आज भी अत्यंत दयनीय है। आजादी के 75 साल बाद भी ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
झोपड़ी में पढ़ते हुए बच्चे
अंगेश हिरवानी- नगरी। धमतरी जिले के वनांचल क्षेत्र नगरी विकासखंड से लगभग 30 किलोमीटर दूर ग्राम गाताबहारा की स्थिति अत्यंत दयनीय है। आजादी के 75 वर्षों बाद भी यह गांव सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
गांव में वर्ष 1997 में शासन द्वारा प्राथमिक शाला की स्वीकृति तो दी गई थी। लेकिन स्कूल के लिए जो भवन आरंभ में निर्मित किया गया था, वह आज पूरी तरह जर्जर हो चुका है। इस स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए नई इमारत का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है। जिसके चलते स्कूली बच्चे झोपड़ी में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। बारिश और गर्मी में यह झोपड़ी शिक्षा का केंद्र बन जाती है, जो शासन के दावों और विकास योजनाओं पर सवाल खड़े करती है।
बच्चे दिए की रौशनी में पढ़ने को मजबूर
स्थानीय पालकों का कहना है कि उन्होंने कई बार शासन-प्रशासन से स्कूल भवन निर्माण, सड़क और बिजली की मांग की है, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है। गांव में न बिजली की सुविधा है और न ही पक्की सड़क, बच्चे अब भी दीये की रोशनी में पढ़ने को मजबूर हैं और बीमार पड़ने पर समय पर वाहन तक नहीं मिल पाता।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार गांव
गांववासियों ने यह भी बताया कि कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी कभी सुध लेने नहीं आता। नेता केवल चुनाव के समय गांव का रुख करते हैं और फिर पांच वर्षों के लिए गायब हो जाते हैं। ग्रामवासी शासन से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस गांव की स्थिति पर ध्यान दिया जाए। यहां स्कूल भवन, पक्की सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सुविधा और पेयजल जैसी आवश्यक बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि बच्चे भी सम्मानपूर्वक शिक्षा प्राप्त कर सकें और गांव मुख्यधारा से जुड़ सके।