सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सीएम को लिखी चिट्ठी: कहा- जमीन की गाइड लाइन दर अव्यवहारिक, जनता पर पड़ेगा आर्थिक बोझ

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सीएम को चिट्ठी लिखी है। कहा- जमीन की गाइड लाइन दर अव्यवहारिक और जनता पर आर्थिक बोझ पड़ेगा

Updated On 2025-12-03 12:41:00 IST

भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल - मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर। रायपुर के भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर हाल में बढ़ाई गई जमीनों की गाइड लाइन दरों को अव्यवहारिक बताते हुए कहा है कि यह प्रदेश की 99 प्रतिशत जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाली है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि इस विषय में व्यापक विरोध को देखते हुए लागू कलेक्टर गाइड लाइन के मूल्य वृद्धि को अविलंब स्थगित करने विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर परीक्षण कराने का निर्देश देते हुए राज्य की जनता को राहत प्रदान करेंगे।

श्री अग्रवाल ने लिखा है- प्रदेश में बिना किसी जन-परामर्श, बिना किसी वास्तविक मूल्यांकन और बिना सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की समीक्षा के बिना कलेक्टर गाइड लाइन दरों में 100 प्रतिशत से लेकर 800-900 प्रतिशत तक की अनसुनी, अनियोजित वृद्धि कर दी गई है। इससे पूरे प्रदेश में अनेक वर्गों में असंतोष उफान पर है। किसान, छोटे व्यवसायी, कुटीर उद्यमी, मध्य वर्ग, छोटे रियल एस्टेट क्षेत्र और निवेशक सभी इस निर्णय के खिलाफ है व्यापक विरोध को देखते हुए यह निर्णय किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है, राजनीतिक दृष्टि से तो बिल्कुल नहीं है।

क्या यही इज ऑफ लिविंग है?
राज्य में हजारों की संख्या में किसान और लघु व्यवसायी मुझसे मिले थे एवं अलग अलग ज्ञापन दिये हैं, उनका अनुत्तरित प्रश्न है क्या यही इज ऑफ लिविंग है? क्या यही इज ऑफ डूइंग बिजनेस है? इस नवीन गाइड लाइन के निर्णय से प्रदेश में निवेश रुक जावेगा, लघु उद्योगों पर प्रभाव पड़ेगा और छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर कम होगे? राजस्व पर भी खासा प्रभाव पड़ेगा? नई गाइड लाइन की दरों में की गई यह वृद्धि लोक कल्याणकारी शासन की भावना के विपरीत है और यह निर्णय प्रदेश की आर्थिक रीढ़-कृषि, लघु उद्योग और मध्य वर्ग सभी पर करारी चोट साबित होगी। व्यापक तौर पर जन भावनाएं इस निर्णय से असहमत हैं लोकतंत्र में जन भवानओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

न जनहित न शासन हित में
श्री अग्रवाल ने लिखा है- निर्णय न तो जनहित में है, न शासन हित में और न ही प्रदेश के विकास के लिए तर्कसंगत है। मुझे लगता है कि यह वृद्धि छत्तीसगढ़ के लाखों परिवारों के सपनों और आजीविका पर प्रभाव डालेगा। अनुरोध है कि नई गाईड लाईन वृद्धि की दर को स्थगित किया जाए। पूर्ववत गाईड लाईन दरें पुनः लागू की जाएं। नई गाईड लाईन हेतु निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ चर्चा, स्वतंत्र आर्थिक मूल्यांकन, विषय विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाकर परीक्षण व वास्तविक बाजार मूल्य के आधार पर, नई नीति तैयार की जाए। नवा रायपुर में सम्मिलित ग्रामों को नगरीय क्षेत्र से मुक्त किया जाए। पंजीयन शुल्क 4 प्रतिशत से घटाकर 0.8 प्रतिशत किया जाए।

725 प्रतिशत की उछाल
इसी परिप्रेक्ष्य में रायपुर और नया रायपुर के कुछ उदाहरण है जो पुनर्विचार करने के लिए सोचने पर मजबूर कर रहा है लाभांडी ग्राम 0.405 हे. भूमि, पूर्व गाइडलाइन के अनुसार मूल्य रू 1.77 करोड़, नवीन गाईड लाईन के अनुसार मूल्य रू 12.79 करोड़ अर्थात 725 प्रतिशत की उछाल, क्या एक ही वर्ष में यह वृद्धि तार्किक है? निश्चित रूप से नहीं-यह प्रशासनिक चूक नहीं है। ग्राम निगोरा 0.405 है भूमि, पूर्व मूल्य रु 15.58 लाख, नवीन मूल्य स 1.41 करोड़ यानी लगभग 888 प्रतिशत की वृद्धि। क्या यह किसी भी आर्थिक न्याय पा बाजार वास्तविकता के अनुरूप है?

गांवों को शहर बना दिया... ये है अन्याय
नया रायपुर के गांवों को बिना मानक पूरा किए नगरीय क्षेत्र घोषित करना गंभीर त्रुटिपूर्ण निर्णय दिखाता है। नया रायपुर में शामिल गांवों के अंदर न सड़कें नगरीय स्तर की न नालियों बिजली-पानी का पर्याप्त प्रबंधन, न जनसंख्या, न औद्योगिक वाणिज्यिक गतिविधियां हैं। यह गांव अब भी कृषि प्रधान हैं। इन गांवों को नगरीय घोषित कर उनका मूल्यांकन शहर जैसी दरों पर करना अन्याय है। रजिस्ट्री शुल्क 08 प्रतिशत किया जाए। स्टांप शुल्क और पंजीयन शुल्क वर्ष 2018-19 में 30 प्रतिशत मूल्य में कटौती कर पंजीयन शुल्क 0.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया था। अब मूल्य पुनः 100 प्रतिशत कर दिया गया, लेकिन पंजीयन शुल्क 4 प्रतिशत ही रखा गया है, जिसे कम कर फिर 0.8 प्रतिशत किया जाना जनहित में होगा। यदि मूल्य 100 प्रतिशत हो गया है, तो शुल्क भी 4 प्रतिशत से घटाकर पुनः 0.8 प्रतिशत किया जाना चाहिए।

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