कोरबा में फिर होगी देव दीपावली की धूम: हिंदू क्रांति सेना ने शुरू की तैयारी, 11 हजार दीपों से जगमाएगा हसदेव नदी का तट

कोरबा जिले में देव दिवाली का यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। जिसकी अनुमति हिंदू क्रांति सेना को मिल गई है।

Updated On 2025-10-31 12:44:00 IST

कोरबा जिले में कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा देव दिवाली

उमेश यादव- कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में देव दिवाली का यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। जिसकी अनुमति हिंदू क्रांति सेना को मिल गई है। इसे लेकर श्रद्धालुओं ने विशेष तैयारी चालू कर दी है। हसदेव नदी के घाट पर लोग स्नान कर विधि-विधान से दीपदान करेंगे। इसे लेकर लोगों ने अपने घरों में अपनी-अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुसार पूजा की तैयारी की है। महाआरती का यह कार्यक्रम शाम 5 बजे से शुरू होगा, जो देर रात तक चलेगा।

हिंदू क्रांति सेना की सदस्यों ने बताया कि, 11 हजार दीप नदी के तट पर प्रज्जवलित किए जाएंगे। 21 हजार दीप दान की जाएगी। 51 लीटर दूध से हसदेव नदी का दुग्धाभिषेक किया जाएगा। 51 मीटर चुनरी भेंट की जाएगी। इस महाआरती को लेकर आयोजन समिति ने बनारस से ब्राह्मणों को बुलाया जाएगा।


हसदेव नदी के तट पर होगा भव्य आतिशबाजी
उन्होंने ने कहा कि, देव दिवाली के दिन हसदेव नदी के तट पर भव्य आतिशबाजी के साथ-साथ भव्य लाइट शो, लेजर शो का आयोजन किया जाएग। पुष्प वर्षा के साथ-साथ झांकियां भी प्रस्तुत की जाएंगी। फायर बॉल शो भी रखा गया है।

महाआरती में ज्यादा से ज्यादा लोग हो शमिल
समिति सदस्यों ने बताया कि, यह चौथा साल है जब जीवनदायिनी हसदेव नदी के तट पर कोरबा में महाआरती का आयोजन किया जा रहा है। समिति ने इस कार्यक्रम में भाग लेने की अपील की है। आयोजन समिति तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी है। हसदेव नदी के तट पर महाआरती के समय होने वाली भीड़ को लेकर पुलिस ने अपने स्तर पर तैयारी चालू कर दी है यातायात के मार्ग को बदला जाएगा और जगह-जगह पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी है।


मान्यता है कि, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का किया था वध
उन्होंने ने कहा कि, हर साल कार्तिक मास के पूर्णिमा को देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस बार 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण देव दिवाली मनाई जाएगी। लोग नदी और सरोवरों में स्नान कर विधि-विधान से दीपदान करेंगे। मान्यता है कि, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था और देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर देव दिवाली मनाई थी।

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