निर्विघ्न संपन्न हुआ बस्तर दशहरा: पारंपरिक तरीके से हुआ समापन, कुमार जयदेव ने पर्व में सुधार की आवश्यकता पर दिया बल

बस्तर दशहरा पर्व कुटुंब जात्रा तक निर्विघ्न संपन्न हो गया। बस्तर धाकड़ क्षत्रीय राजपूत समाज के संरक्षक ने पर्व में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।

Updated On 2025-10-05 20:48:00 IST

बस्तर दशहरा समिति के पदाधिकारी और कार्यकर्ता 

अनिल सामंत- जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा विश्व में इकलौता पर्व है जो सबसे लंबी अवधि 75 दिनों तक चलने वाले पर्व कुटुंब जात्रा तक निर्विघ्न संपन्न हो गया। इस पूरे पर्व को सफल बनाने जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. उनमें विभिन्न पर्घनाओ के मांझी, मुखिया, पुजारी, चालकी, मेम्बर, पेरमा, परगनिहा सहित दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारियों एवं समाज प्रमुखों का अहम योगदान रहता है।

बस्तर दशहरा निर्विघ्न सम्पन्न होने के बाद हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सुकमा जमींदार परिवार के वरिष्ठ सदस्य कुमार जयदेव से भेंट कर बस्तर दशहरा पर्व की समीक्षा की गई। वृंदावन कालोनी स्थिति देव के निज निवास में कुमार जयदेव ने माता दंतेश्वरी की सेवा अर्जी से जुड़े मांझी, पुजारी, चालकी, सिरहा, मुंडाबाजा, समाज प्रमुखों का सम्मान किया।

पुजारी ने बताया दशहरे का इतिहास
दंतेवाड़ा के प्रधान पुजारी परमेश्वर नाथ जिया ने बताया कि प्रतिवर्ष दशहरा पर्व के विदाई के पूर्व कुमार जयदेव से भेंट मुलाकात करते हैं। पुजारी जिया ने वर्तमान दशहरा की व्यवस्था पर नाराज़गी जताई और कहा कि, माता की डोली को यहां सम्मान और आदर नहीं मिलता, जिसका उन्हें दुख है। दंतेवाड़ा से छत्र एवं डोली बड़े सम्मान के साथ लाते है। लेकिन जिस प्रकार की व्यवस्था यहां होती है, वह बड़ी असहज है। दशहरा समिति एवं दशहरा के आयोजन अधिकारियों को समीक्षा करने की दरकार है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें और हम सबों को मिलकर ऐसा प्रयास करना है कि देश विदेश में बस्तर दशहरा की ख्याति और बढ़े बस्तर दशहरा की गरिमा और वैभवता उसका आभामंडल पूरे विश्व में हो।

निर्विघ्न हुआ कार्यक्रम संपन्न
वही दंतेश्वरी मंदिर जगदलपुर के पुजारी प्रेम कुमार पाढ़ी ने बताया कि कुछ लोगों के स्वार्थ के चलते इस वर्ष के बस्तर दशहरा में विघ्न डालने का प्रयास किया गया। लेकिन माता की इच्छा के विपरित इस प्रकार के कुत्सित मानसिकता पालने वाले अपने आप विफल हो जाते हैं।

प्रशासन की रही बेहतर व्यवस्था
बस्तर धाकड़ क्षत्रीय राजपूत समाज के संरक्षक एवं सुकमा जमींदार कुमार जयदेव ने बस्तर दशहरा पर प्रशासन की सरहना करते हुए कहा कि प्रशासन में बेहतर इंतजाम किए थे। कुछ स्वार्थ परत लोगों के अहम और मैं मैं के कारण भले ही रथ परिक्रमा सहित कुछ दशहरा रस्मों मे व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास किया गया। लेकिन प्रशासन ने बेहतर कार्य किया और सभी कार्य समय पर संपन्न हुए। कुमार जयदेव ने कहा कि, बस्तर के मूल लोगों को अधिक से अधिक संख्या में सहभागिता सुनिश्चित करने पर बल दिया और कहा कि युवा महिला एवं अन्य स्थानीय समाजों को इसमें विशेष तौर पर जोड़ा जाना चाहिए। वर्तमान बस्तर दशहरा केवल बस्तर जिले तक की सीमित नजर आ रहा है।

पर्व में संभाग के ग्रामीणों को जोड़ने की दरकार
बस्तर दशहरा पर्व बस्तर संभाग के स्तर पर किए जाने की दरकार है। इस नाते प्रत्येक जिले में एक समिति बनाकर दशहरा से उन्हें जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। ताकि, इसकी भव्यता और व्यापाकता और बढ़े। इस वर्ष के बस्तर दशहरा में महिलाओं की भागीदारी नगण्य रही। इस पर उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि माताओं और बहनों का इस दशहरा में शामिल न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोगों को इस पवित्र परंपरा में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने इस के लिए हम सब मिलकर अवश्य प्रयास करेंगें।

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