हरिभूमि-आईएनएच का सृजन संवाद: साव बोले- संपत्तिकर का होगा युक्तियुक्तकरण, नगरीय निकाय बनेंगे आत्मनिर्भर
सृजन संवाद कार्यक्रम में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी डिप्टी सीएम अरुण साव से चर्चा की।
बिल्डरों को नगरीय निकाय मंत्री की सलाह, अवैध प्लाटिंग और अवैध कालोनियां बनाने से बचें
रायपुर। हरिभूमि और आईएनएच के बिल्डर्स कॉनक्लेव-2025 सृजन संवाद कार्यक्रम में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से चर्चा करते हुए नगरीय निकाय मंत्री, डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा, प्रदेश के नगरीय निकायों को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। इस समय बिजली बिलों से लेकर वेतन तक के लिए निकाय सरकार पर निर्भर हैं।
जब भाजपा की सरकार प्रदेश में फिर से आई थी, तब अधिकारी कहते थे, नलों की टोटी खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं, हम अपनी जेब से खरीदते हैं। अब करीब दो साल में निकायों को बेहतर स्थिति में लाने का काम किया गया है। श्री साव ने बिल्डरों को अवैध प्लाटिंग और अवैध कालोनियां बनाने से बचने की सलाह देते हुए नियमों के तहत काम करने के लिए कहा।
प्रस्तुत है, बातचीत के प्रमुख अंश-
- उपमुख्यमंत्री के साथ जो विभाग मिले, उसमें नगरीय निकाय विभाग देखकर कैसा लगा था ?
- सबसे पहले तो हरिभूमि और आईएनएच को ऐसा आयोजन करने के लिए बधाई, आप लोगों ने कार्यक्रम का नाम सृजन संवाद बड़ा ही अद्भुत रखा है। सृजन तो अंतहीन है। यह निरंतर चलता रहता है।
- नगरीय निकाय विभाग का सवाल है तो इस विभाग के मिलने की मुझे बहुत खुशी है। जब मुझे इस विभाग की जिम्मेदारी मिली थी तो प्रदेश के निकायों की
हालत बहुत खराब थी। धीरे-धीरे इसको ठीक करने का काम किया जा रहा है। कोई भी शहर प्रदेश की छवि होता है। - नगरीय निकाय विभाग बहुत अहम है। कांग्रेस सरकार में निकायों को पैसे नहीं मिलते थे। हमने स्थिति को सुधारने का काम किया है। इसका बड़ा प्रमाण है कि प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर सात पुरस्कार मिले हैं। यही नहीं, सौ स्वच्छ शहरों में छत्तीसगढ़ के 58 शहर शामिल हैं। निकायों ने लिए लगातार नई योजना बनाने का काम हो रहा है। निकायों को हमारी सरकार भरपूर पैसा भी दे रही है।
- परेशान कौन ज्यादा करता है, पार्षद, महापौर या बिल्डर ?
- पाषर्दों की अपनी समस्या है। महापौर की अपनी समस्या है और बिल्डरों की अपनी समस्या है। सबकी समस्या का समाधान करना हमारा काम है। निकायों में तो नेताओं का जमावड़ा है। अपने प्रदेश में रियल एस्टेट में अच्छा काम हो रहा है। बिल्डर सपनों का घर बनाते हैं। यह काम बहुत कठिन होता है। ये लोगों की मदद करते हैं।
- अवैध काम कितनी दुविधा पैदा करते हैं?
- अवैध प्लाटिंग और अवैध कालोनी एक बड़ी चुनौती है। गरीब वर्ग अपने गहने बेचकर, कर्ज लेकर प्लाट या घर लेते हैं। जब उनको मालूम होता है कि उन्होंने जो प्लाट या घर लिया है वह अवैध है तो उनको परेशानी का सामना करना पड़ता है। सड़क, नाली, पानी के लिए ये निगम के पास आते हैं तो निगम को भी परेशानी होती है। सारा बोझ निगम पर आता है। किसी भी तरह से अवैध प्लाटिंग और अवैध कालोनियों का निर्माण नहीं होना चाहिए। बिल्डर अगर नियमों से काम करेंगे, तो उनको सरकार की मदद भी मिलेगी, लेकिन नियमों के खिलाफ जाकर काम करेंगे, तो उन पर कार्रवाई भी होगी।
- आवास पर्यावरण और नगरीय निकाय विभाग के बीच में बिल्डर कितने पिस रहे हैं?
- ऐसा कुछ नहीं है, किसी भी बिल्डर से अब तक कोई शिकायत नहीं आई है। नियम से काम करने वालों के साथ हमेशा सरकार खड़ी है।
- बिल्डरों से क्या अपेक्षा है?
- नियमों से काम करें, अवैध कालोनियों को रोकें। प्रदेश में छोटे-छोटे शहरों में भी कालोनियां बन रही हैं। विकास हो रहा है। काम अच्छा करें किसी भी तरह से ग्राहकों के साथ चीटिंग न करें। रैन वॉटर हार्वेस्टिंग को योजनाओं में प्राथमिकता देनी चाहिए।
- नगरीय निकाय परेशानी में हैं, उसके पास पैसे नहीं रहते हैं, ये कब आत्मनिर्भर बनेंगे?
- नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है। संपत्ति कर को लेकर भी योजना बनाई गई है। इसको लेकर कार्यशाला भी की गई है। इसको ठीक करने की योजना है। इसका युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। ऐसा होने से किसी को भी ज्यादा भार नहीं पड़ेगा। निकायों को पैसों की कमी नहीं होने दी जा रही है। विकास के काम हो रहे हैं। जरूरत के सारे पैसे उपलब्ध हैं।
- ईडब्ल्यूएस के नाम पर जमीन आरक्षित होती है, लेकिन गरीबों के लिए मकान नहीं बन पाते हैं?
- जमीन का उपयोग हो इसको लेकर प्रयास करेंगे और योजना बनाएंगे।