गरियाबंद में नक्सल अभियान को बड़ी सफलता: 8 लाख की इनामी महिला नक्सली जानसी ने पुलिस के सामने किया सरेंडर
गरियाबंद में 8 लाख की इनामी महिला नक्सली जानसी ने पुलिस के सामने सरेंडर किया। नक्सली जानसी महराष्ट्र की रहने वाली है और वह कई बड़े अभियानों में शामिल रह चुकी है।
8 लाख की इनामी नक्सली जानसी ने किया सरेंडर
अश्वनी सिन्हा- गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन से घबराकर नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। गरियाबंद में 8 लाख की इनामी महिला नक्सली जानसी ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है। नक्सली जानसी महराष्ट्र की रहने वाली है। उसने बताया कि, आत्मसमर्पण किये साथियों की खुशहाल जिंदगी देखकर वह प्रभावित हुई। जिसके बाद उसने हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया।
पुलिस के मुताबिक जानसी का माओवादी संगठन से लंबा जुड़ाव रहा। वर्ष 2005 में जनमिलिशिया सदस्य के रूप में शुरुआत करने वाली जानसी को 2006 में माओवादी कमांडर रनिता ने संगठन में भर्ती किया गया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न भूमिकाओं में काम किया। जिसमें 2007 में गार्ड, 2008 से 2011 तक प्रेस संबंधी कार्य, और 2014 से 2022 तक नगरी एरिया कमेटी में कमांडर के पद शामिल हैं। वर्ष 2022 से वह नगरी एरिया कमेटी की सचिव थीं।
जानसी ने बताई नक्सल संगठन की सच्चाई
जानसी ने बताया कि, माओवादी संगठन अब निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, विकास कार्यों में बाधा, ठेकेदारों से अवैध वसूली और युवाओं को जबरन भर्ती करने का अड्डा बन चुका है। संगठन के बड़े कैडर छोटे कार्यकर्ताओं का शोषण करते हैं और स्थानीय लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काते हैं। 2011 में डीव्हीसीएम सत्यम गावड़े से शादी करने वाली जानसी, उनके मुठभेड़ में मारे जाने के बाद मानसिक रूप से टूट गईं। जंगल की मुश्किल जिंदगी और आत्मसमर्पण करने वाले साथियों के बेहतर जीवन से प्रेरित होकर उन्होंने आत्मसमर्पण का फैसला किया।
कैडरों का समर्पण देखकर मुख्यधारा में आने का लिया निर्णय
सरेंडर के बाद जानसी ने बताया कि समाचार पत्रों और पुलिस के पोस्टर-पैंफलेट्स के जरिए उन्हें आत्मसमर्पण नीति की जानकारी मिली। कई अन्य माओवादी साथी जैसे आयतु, संजय, मल्लेश आदि भी इस नीति का लाभ उठा चुके हैं। सुकमा पुलिस की मदद से जानसी अब अपने परिवार के साथ नया और सम्मानजनक जीवन शुरू करना चाहती हैं।