धान खरीदी केंद्रों में जॉब स्कैम: महज 15 दिन बाद नौकरी से निकाले गए 96 कंप्यूटर ऑपरेटर, कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार
राजनांदगांव जिले के धान खरीदी केंद्रों में कार्यरत 96 कंप्यूटर ऑपरेटरों को महज 15 दिन बाद जॉब से हटा दिया गया। जिसके बाद युवाओं ने जॉब के नाम पर डेढ़ लाख तक वसूली करने के आरोप लगाये हैं।
पीड़ित युवाओं ने धान खरीदी केंद्रों में जॉब के नाम पर ठगी के लगाये आरोप
अक्षय साहू- राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के मौसम में एक बार फिर बड़ा रोजगार घोटाला सामने आया है। राजनांदगांव जिले में मार्कफेड (छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ) द्वारा धान खरीदी केंद्रों के लिए भर्ती किए गए 96 कंप्यूटर ऑपरेटरों को महज 15 दिन बाद अचानक हटा दिया गया। पीड़ित युवाओं ने गंभीर आरोप लगाया है कि, नौकरी दिलाने के नाम पर निजी प्लेसमेंट कंपनी और बिचौलियों ने उनसे 30 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक वसूले थे। अब अचानक बेरोजगार हुए ये युवा गुरुवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और शासन-प्रशासन से न्याय की मांग कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, धान खरीदी शुरू होने से ठीक पहले पुराने कंप्यूटर ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए थे। इससे उपार्जन कार्य प्रभावित न हो, इसलिए मार्कफेड ने तत्काल प्रभाव से 96 नए कंप्यूटर ऑपरेटरों की भर्ती का निर्णय लिया। इसके लिए एक निजी कंपनी बीआईएस को जिम्मेदारी सौंपी गई। कंपनी ने एक ही दिन का प्रशिक्षण देकर युवाओं को विभिन्न धान खरीदी केंद्रों में तैनात कर दिया। अधिकांश युवा स्थायी नौकरी की आस में पुरानी निजी नौकरियां तक छोड़कर आए थे।
निजी कंपनी का अनुबंध रद्द, 96 ऑपरेटर हुए बेरोजगार
लेकिन जैसे ही पुराने ऑपरेटरों की हड़ताल खत्म हुई, मार्कफेड ने निजी कंपनी का अनुबंध अचानक रद्द कर दिया और नए भर्ती सभी 96 ऑपरेटरों को बिना किसी नोटिस के हटा दिया गया। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें न तो कोई लिखित नियुक्ति पत्र दिया गया था और न ही कोई पूर्व सूचना। अचानक बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा अब सड़क पर हैं।
जॉब के नाम पर बड़ी रकम लेने के आरोप
सबसे गंभीर आरोप यह है कि, नौकरी की सूचना आते ही निजी कंसल्टेंसी फर्म और बिचौलियों का जाल बिछ गया था। कई युवाओं से 30 हजार से 50 हजार रुपये तक की रकम एडवांस में ली गई और बाकी राशि “जॉइनिंग के बाद” देने का लालच दिया गया। कुछ ने तो कर्ज लेकर यह रकम जमा की थी। अब न नौकरी रही, न पैसे वापस आए।
पीड़ित युवाओं ने कलेक्टर से लगाई गुहार
पीड़ित युवाओं ने कलेक्टर से मांग की है कि, ठगी करने वाली निजी कंपनी और बिचौलियों पर तुरंत FIR दर्ज हो, वसूली गई राशि वापस दिलाई जाए और सभी को पुनः नियुक्ति दी जाए या उचित मुआवजा दिया जाए। जिले में सामने आए इस घोटाले ने बेरोजगारी की मार झेल रहे छत्तीसगढ़ के युवाओं में भारी रोष पैदा कर दिया है। प्रशासन अभी तक खामोश है, लेकिन युवाओं का गुस्सा सड़कों पर दिख रहा है।
नौकरी के लिए उधार लेकर दिए थे पैसे
किरगी धान खरीदी केंद्र में नियुक्त हुए थानेश्वर प्रसाद ने बताया कि, Bis कम्पनी के जरिये नौकरी मिली थी। हमें बिना नियुक्ति पत्र दिए काम में भेज दिया गया था, जैसे ही पुराने लोग काम पर लौट हमें निकाल दिया गया। नौकरी में लगाने के नाम पर मौली कंसल्टेंसी फर्म ने मुझसे डेढ़ लाख रुपये मांगे और 30 हजार रुपये एडवांस जमा करवा लिए। उधार में ये रुपये लेकर आया था, अब न नौकरी रही न रुपये।