सिस्टम की लाचारी: जिन बंधुआ बच्चों को मशक्कत कर छुड़वाया, उन्हें 36 घंटे में ही ले गए ठेकेदार

मशरूम फैक्ट्री से छुड़ाए गए नाबालिग श्रमवीरों के मामले में नया मोड़ आ गया है। पकड़े गए बंधुआ मजदूरों में से 23 लड़के और 34 लड़कियों को छोड़ा गया।

Updated On 2025-11-20 11:57:00 IST

रायपुर। मशरूम फैक्ट्री से छुड़ाए गए नाबालिग श्रमवीरों के मामले में नया मोड़ आ गया है। सोमवार देर रात जिन लड़के-लड़कियों को महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारी और समाजिक संगठन के सदस्यों ने मिलकर छुड़वाया था, उन्हें बुधवार दोपहर ठेकेदार अपनी बस में बैठाकर दोबारा फैक्ट्री में मजूदरी के लिए ले गए। अधिकारी मशरूम फैक्ट्री और ठेकेदारों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाए। जिनके दस्तावेज उन्हें अब तक नहीं मिल सके हैं, केवल उन्हें ही नाबालिक मानते हुए माना स्थित संरक्षण गृह में रखा गया है। शेष को ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया है। सोमवार देर रात छुड़वाए गए 48 लड़कों में से 23 को छोड़ दिया गया है और 25 के डॉक्यूमेंट का इंतजार है।

इसी तरह से 61 लड़कियों में से 34 को छोड़ दिया गया है और केवल 21 लड़कियों को ही उनकी उम्र संबंधित डॉक्यूमेंट मिलने तक रखा गया है। उम्र संबंधित कागजात दिखाने के साथ ही लड़के-लड़कियों को खरोरा स्थित मोजो मशरूम फैक्ट्री के ठेकेदार दोबारा ले गए, जबकि छुड़वाई गई लड़कियों में से कई ने ठेकेदार और उनके आदमियों के खिलाफ निजी अंगों को छूने और छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। छुड़वाए गए बच्चे यदि बालिक हैं, तब भी उन्हें जिस स्थिति में रखा गया और काम के बदले जो मजदूरी दी जा रही थी वो श्रम कानूनों का उल्लंघन है। इसके बाद भी इन पर बगैर कोई कार्रवाई किए चुपचाप ठेकेदारों को सौंप दिया गया है। श्रम विभाग भी शिकायत पर ही कार्रवाई करने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है।

हर राज्य में अलग ठेकेदार
जिन बंधुआ मजदूरों को छुड़वाया गया है, वे अलग-अलग राज्यों से हैं। इनमें असम, झारखंड, ओडिशा, यूपी, एमपी और पश्चिम बंगाल से आए हुए मजदूर शामिल हैं। सभी राज्यों में अलग-अलग ठेकेदार हैं, जो मजूदरों की सप्लाई करते हैं। कंपनी इन ठेकेदारों से संपर्क कर मजदूरों का मोल-भाव करती है। जिन मजूदरों के उम्र संबंधित दस्तावेज नहीं मिल सके हैं, उन्हें नाबालिक मानकर महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी तथा एसोसिएशन फॉर वॉयलेंट्री एक्शन के सदस्य बुधवार देर शाम खरोरा थाने मामले की शिकायत करने अवश्य पहुंचे, लेकिन आधे बच्चों को ठेकेदारों को ले जाते देखकर रोके गए बच्चों को भी विशेष राहत की उम्मीद नहीं है।

कई बच्चे जुलाई में भी छुड़वाए गए
जिन बच्चों को नवंबर माह में हुई छापेमारी में छुड़‌वाया गया है, उनमें से आधा दर्जन बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें जुलाई माह में छापेमारी के दौरान भी छुड़वाया जा चुका है। इनमें से कुछ बच्चों ने काउंसिलिंग के दौरान बताया कि उनके माता-पिता निश्चित राशि लेकर उन्हें ठेकेदार को सौंप चुके हैं, इसलिए उन्हें एक बार छुड़वाए जाने के बाद दोबारा काम पर लौटना पड़ा। इसके बाद भी इन बच्चों को केवल इस आधार पर ठेकेदारों के साथ जाने दिया गया, क्योंकि ये बालिक हैं। इन लड़के-लड़‌कियों ने आगे पढ़ने की इच्छा भी काउंसिलिंग के दौरान जताई थी। इनमें से कई 8वीं-10वीं पास हैं, जबकि कई पढ़ना-लिखना बिल्कुल भी नहीं जानते हैं। गौरतलब है कि इसी मशरूम फैक्ट्री में बंधक बनाकर मजदूरी कराए जाने का मामला इसी साल जुलाई माह में भी सामने आया था। उस दौरान 90 से अधिक मजदूरों को रेस्क्यू किया गया था। उस वक्त मामला लेबर कोर्ट तक पहुंचा। फिर कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई और ठेकेदार फिर से बच्चों से मजदूरी कराने लगे। नवंबर माह में हुई कार्रवाई भी इसी दिशा में बढ़ती नजर आ रही है।

शिकायत दर्ज
विधानसभा सीएसपी वीरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि, महिला एवं बाल विकास विभाग ने शिकायत दर्ज कराई है। इसके आधार पर जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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