पेंशन के नाम पर रिश्वत: हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, कहा- ऐसे अपराधों में नहीं होगा समझौता

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पेंशन और रिटायरमेंट लाभ के नाम पर रिश्वत मांगना अपरध है। ऐसे मामले में पक्षकारों के बीच समझौते के बाद भी एफआईआर रद्द नहीं होगी।

Updated On 2025-09-26 14:28:00 IST

बिलासपुर हाईकोर्ट 

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए साफ कर दिया है कि, पेंशन और रिटायरमेंट लाभ जारी करने के नाम पर अवैध धन मांगना और धोखाधड़ी जैसे अपराध केवल निजी विवाद नहीं हैं, बल्कि समाज पर गहरा नकारात्मक असर डालते हैं।

इसलिए ऐसे मामलों में पक्षकारों के बीच समझौता हो जाने के बाद भी एफआईआर खत्म नहीं की जा सकती। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया।

ग्रेच्युटी जारी करने के बहाने महिला से हड़पे लाखों रुपये
दरअसल, मामला बिलासपुर का है, जहां एक सरकारी क्लर्क और दूसरे अधिकारी ने मृतक शिक्षक की विधवा से पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य लाभ जारी करने के बहाने 2 लाख रुपए की मांग की थी। महिला ने दबाव में आकर उन्हें खाली चेक सौंपा, जिसके जरिए 2 लाख 80 हजार रुपए धोखाधड़ी से निकाल लिए गए, जबकि पेंशन का काम अभी तक लंबित है।

ऐसे मामलों में समझौते के आधार पर FIR रद्द नहीं की जा सकती- हाईकोर्ट
इस मामले में शिकायत पर 20 जून 2025 को सिविल लाइन थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि, दोनों पक्षों में समझौता हो चुका है, इसलिए एफआईआर रद्द की जाए। लेकिन राज्य पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि, ऐसे अपराध की पूरी जांच जरूरी है। हाईकोर्ट ने राज्य पक्ष की दलील को सही मानते हुए कहा कि, ऐसे मामलों में समझौते के आधार पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।

ध्वनि प्रदूषण पर हाई कोर्ट सख्त
वहीं 23 सितम्बर को बिलासपुर हाईकोर्ट में ध्वनि प्रदूषण को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए राज्य के मुख्य सचिव को कड़े निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि, शासन की ओर से पहले दाखिल हलफनामे का कड़ाई से पालन किया जाए और इस संबंध में सभीआवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।

मुख्य सचिव को दिए कड़े निर्देश
सुनवाई के दौरान शासन की ओर से जानकारी दी गई कि, कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में संशोधन की प्रक्रिया जारी है। शासन की एक समिति ने इस मुद्दे पर बैठक कर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (CECB) को आवश्यक संशोधन का मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था। इस पर सीईसीबी ने संशोधन का प्रारूप बनाकर 13 अगस्त 2025 को आवास और पर्यावरण विभाग को भेजा।

शासन ने रखा अपना पक्ष
सरकार की ओर से कहा गया कि,14 अगस्त को हुई बैठक में समिति ने मसौदे की समीक्षा की गई है। इस दौरान विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों से अपने सचिवों से अनुमोदन लेकर 15 सितंबर को संशोधन प्रस्ताव को प्रस्तुत करने को कहा है। वहीं कोर्ट ने कहा- ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण नियम, 2000 को देखते हुए 1985 के अधिनियम में जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं। इसके लिए राज्य सरकार इस दिशा में सक्रिय रूप से कदम उठा रही है। शपथपत्र में यह भी उल्लेख है कि, मामला वर्तमान में गृह विभाग के विचाराधीन है इसलिए वही मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगा।

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