नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ का टारगेट: अब केवल 7 महीने शेष, बीजापुर जिले में ही लड़ी जाएगी अंतिम लड़ाई

बीजापुर में पिछले 20 महीनों में अब तक 36 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं। 496 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। ऐसे में अंतिम लड़ाई अब यहीं लड़ी जाएगी।

Updated On 2025-09-22 15:03:00 IST

सुरक्षाबल 

गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन के मार्च 2026 तक सफाया करने के ऐलान के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इसे निर्णायक चुनौती मान लिया है। अब इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए केवल सात महीने बचे हैं। बीजापुर वर्तमान में देश का सबसे माओवादी-प्रभावित जिला माना जा रहा है। पिछले एक साल में यहां सबसे अधिक ऑपरेशन, गिरफ्तारियां, आत्मसमर्पण और मुठभेड़ दर्ज किए गए हैं। पुलिस का साफ कहना है कि निर्णायक लड़ाई बीजापुर में ही लड़ी जाएगी। मतलब यह साफ है कि नक्सलवाद की ताबूत पर अंतिम कील बीजापुर में ही ठोकी जाएगी।

बीजापुर पुलिस की उपलब्धियों पर अगर गौर करें तो पिछले 20 महीनों में अब तक 36 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं। 496 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अभियानों में 195 माओवादी मारे गए और लगभग 900 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं, जो बीजापुर जिले के लिए ही नही बल्कि देश भर में नक्सल मोर्चे पर सबसे बड़ी उपलब्धि है। इन कार्रवाइयों को नक्सल विरोधी अभियान की बड़ी रणनीतिक सफलता माना जा रहा है। 

कई बड़े नक्सली मुठभेड़ में हुए ढेर
बीजापुर में DRG, एसटीएफ कोबरा, सीआरपीएफ और बस्तर फाइटर के जवानों के दबाव का ही असर है कि बीजापुर से ही देशभर में नक्सलवाद का नींव रखने वाले तेलंगाना और आंध्र के बड़े नक्सली लीडर या तो मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं। नक्सली या तो जवानों के हाथों मारे जाने के भय से बस्तर छोड़कर भाग रहे हैं और जान बचाने के लिए तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में आत्म समर्पण कर रहे हैं। 

नक्सल चीफ बसव राजू के मारे जाने के बाद नक्सलियों में भय
DRG जवानों के हाथों नक्सली नेता और नक्सलियों के चीफ़ कहे जाने वाले बसव राजू के मारे जाने के बाद बचे हुए नक्सली नेताओ में DRG का भय और बढ़ चुका है जिसका जिक्र मरने से पहले बसव राजू ने भी अपने पत्र में किया था। पुलिस का कहना है कि, बीजापुर में जारी व्यापक अभियान ही आने वाले महीनों में बीजापुर में नक्सलवाद के सफाए का निर्णायक युद्ध साबित होगा। 

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