मगरमच्छ ने वन विभाग की टीम को 38 दिन तक छकाया: देर रात चुपचाप अपने बच्चे के साथ नाले में चला गया
रात 12 बजे के बाद तालाब में कोई नहीं था उस समय धान के खेत से दोनों मगरमच्छों के चले जाने के पदचिन्ह दिखे हैं।
वन विभाग की टीम
महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बस्तर जिले के तोकापाल के मछली पालन वाले तालाब में घुसा 7 फीट लंबा मगरमच्छ और उसका बच्चा आखिरकार 38 वें दिन नाले में वापस चला गया। बाढ़ के चलते पास ही से बहने वाले कोयर नाला से 30 एकड़ के मछली पालन तालाब में उक्त मगरमच्छ 29 अगस्त की सुबह घुसा था।
तालाब का पानी हटने से 6 अक्टूबर की रात 12 बजे के बाद जब कोई नहीं था, तब धान के खेत से होते हुए दोनों मगरमच्छ कोयर नाला में चला गया, सुबह वन विभाग की डिप्टी रेंजर आरके मिश्रा के नेतृत्व की टीम को सर्चिंग के दौरान मगरमच्छ के जाने के पदचिन्ह मिले।
बताया जा रहा है कि, 29 अगस्त से उसके बाद से वन विभाग की टीम को बस्तर एवं दंतेवाड़ा जिले की 12 अधिकारी-कर्मचारी, एसडीआरएफ की टीम के साथ 38 वें दिन तक लुका छिपी का खेल चलता रहा, काफी छकाने के बाद भी मगरमच्छ टीम के हाथ नहीं लगा। उसके टीम ने रेस्क्यू पर तालाब में 200 मीटर पिंजड़ा एवं जाल डाल कर उसे पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन मगरमच्छ तालाब में चक्कर लगाता रहा।
नहीं हुई कोई जनहानि
यह भी बताया जा रहा है कि, टीम ने रेस्क्यू के दौरान तालाब किनारे मगरमच्छ को चारा देने के लिए मुर्गा और बकरा काटकर रखा गया था, जिससे मगरमच्छ ने तालाब से निकलकर बाहर निकला और चारा खाकर वापस तालाब में घुस गया। टीम ने तालाब का वीडियो बनाया, जिसमें स्पष्ट दिख रहा कि मगरमच्छ तालाब में तैर रहा है, लेकिन मगरमच्छ तालाब से बाहर नहीं निकला।
हालांकि इस दौरान वन विभाग ने तालाब के आस पास मुनादी किया कि, लोग तालाब के पास नहीं पहुंचे तथा तालाब नहाना मनाही है। हालांकि 38 दिन तक मगरमच्छ ने जनहानि नहीं किया, पर तालाब में मछली को खा गया, जिससे वन विभाग इसके लिए मुआवजा तैयार किया है। वन मंडलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता समय-समय पर तालाब का निरीक्षण कर रहे थे।
मछली पालन में हुआ आर्थिक नुकसान
बताया जा रहा है कि तोकापाल निवासी सुमीत तिवारी ने इस तालाब में मछली पालन के लिए मछली बीज डाला है, जिसमें मछली के बीज को मगरमच्छ ने खा दिए जाने से सुमीत को आर्थिक नुकसान होने की संभावना मिल रही है।
मगरमच्छ से कोई जनहानि नहीं
चित्रकोट उप वन मंडलाधिकारी योगेश कुमार रात्रे ने बताया कि, तालाब के आसपास मुनादी किया कि लोग तालाब के पास नहीं पहुंचे तथा तालाब नहाना मनाही था। तालाब में वन कर्मियों को तैनात किया गया था, जिससे 38 वें दिन तक मगरमच्छ से जनहानि नहीं हुई। तालाब के मेड़ को काटने से तालाब का पानी कम हुआ और रात में मगरमच्छ जाकर कोयर नाला में चला गया।