ग्राम खैरी बना नशा-जुआ मुक्त: ग्रामीणों ने लिया सामूहिक संकल्प, महिलाएं बोलीं- नशा नहीं, भविष्य चाहिए
बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक स्थित ग्राम खैरी में ग्रामीणों ने शराब और जुए के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला लिया।
खैरी गांव बना नशा-जुआ मुक्त का मिसाल
कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के ग्राम खैरी में नशा मुक्ति की दिशा में एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल सामने आई है। पलारी थाना प्रभारी हेमंत पटेल की पहल और प्रेरणा के बाद ग्रामवासियों ने शराब और जुए जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर कठोर और साहसिक निर्णय लिया है।
गांव में आयोजित महिला-पुरुषों की संयुक्त आमसभा में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि, अब ग्राम खैरी में न तो शराब का निर्माण किया जाएगा और न ही उसका विक्रय। गौरतलब है कि, ग्राम खैरी कभी अवैध रूप से महुआ शराब बनाने के लिए पूरे जिले में कुख्यात था। नशे के दुष्प्रभाव के चलते यहां कई युवाओं ने असमय ही अपनी जान गंवाई थी।
जुर्माना सहित की जाएगी सख्त कार्रवाई
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि, यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से कच्ची शराब बनाते, बेचते या उसका सेवन कर गांव की शांति भंग करता पाया गया, तो उसके खिलाफ जुर्माना सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही गांव में तास–जुआ जैसे किसी भी प्रकार के जुए पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय लिया गया है।
ग्रामीणों की समाधान पर भी हुआ गंभीर मंथन
जहां अक्सर गांवों की पहचान शराब, जुए और आपसी कलह से जुड़ जाती है। वहीं पलारी ब्लॉक का ग्राम खैरी अब एक सकारात्मक मिसाल बनकर उभरा है। यह बदलाव किसी शासकीय आदेश से नहीं, बल्कि गांव वालों की सामूहिक चेतना और दृढ़ इच्छाशक्ति से आया है। गांव की चौपाल में महिलाएं, पुरुष, युवा और बुजुर्ग एक साथ बैठे। चर्चा केवल समस्याओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि उनके स्थायी समाधान पर भी गंभीर मंथन हुआ। नतीजतन, ग्राम खैरी ने सर्वसम्मति से खुद को शराब और जुआ मुक्त गांव घोषित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया।
नशा नहीं, भविष्य चाहिए- महिलाएं
इस पूरे निर्णय में महिलाओं की भूमिका सबसे मजबूत नजर आई। महिलाओं ने दो टूक शब्दों में कहा कि, नशा नहीं, भविष्य चाहिए। युवाओं ने गांव की निगरानी और व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय सहयोग का संकल्प लिया, जबकि बुजुर्गों ने इसे गांव में खोई हुई शांति और सद्भाव लौटाने वाला निर्णय बताया। फैसले को प्रभावी ढंग से लागू करने और उसकी सतत निगरानी के लिए ग्राम स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है। ग्रामवासियों ने एक स्वर में नशा मुक्त गांव के निर्माण का संकल्प लेते हुए सामूहिक जिम्मेदारी निभाने का आश्वासन दिया।
अगर गांव चाहे, तो बदलाव मुमकिन
ग्रामीणों का मानना है कि, यह निर्णय केवल शराब और जुए पर रोक नहीं, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है। जहां गांव अपनी समस्याओं का समाधान खुद करता है। आज ग्राम खैरी चर्चा हुई है, किसी विवाद के कारण नहीं, बल्कि उस साहसिक फैसले के कारण जिसने यह साबित कर दिया कि अगर गांव चाहे, तो बदलाव मुमकिन है।