खतरे के निशान पर छत्तीसगढ़ के 11 बांध: सामने आई हेल्थ रिपोर्ट, कहीं रिसाव, कहीं दरार

राज्य के अधिकांश इलाकों में घनघोर बारिश से बड़े बांध और जलाशय भरकर छलकने लगे हैं। इसके साथ ही बांधों के टूटने का खतरा भी बढ़ रहा है।

Updated On 2025-09-09 09:15:00 IST

File Photo 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल राज्य के अधिकांश इलाकों में घनघोर बारिश से बड़े बांध और जलाशय भरकर छलकने लगे हैं। इसके साथ ही बांधों के टूटने का खतरा भी बढ़ रहा है। इसी बीच पिछले दिनों लुत्ती ( बलरामपुर) तथा गेरसा (लुंड्रा) बांध फूट चुके हैं। बलरामपुर के ही सकेतवा बांध भी फूटने के खतरे से जझ रहा है, लेकिन इससे बड़ी और अहम बात ये भी है कि राज्य में इनके अलावा 11 बांधों पर मध्यम से लेकर उच्च श्रेणी का खतरा मंडरा रहा है। यह तथ्य जल संसाधन विभाग की बांध सुरक्षा की हेल्थ रिपोर्ट से सामने आया है।

राज्य में मौजूद बांधों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। इनमें श्रेणी 1 में अध्याधिक उच्च जोखिम वाले बांधों को रखा जाता है। राज्य में फिलहाल इस श्रेणी में कोई बांध नहीं है। इसके बाद श्रेणी 2 के बांध जिनमें कुछ प्रमुख कमियां. जिनके लिए शीघ्र उपचारात्मक उपाय अपेक्षित हैं। इन्हें मध्यम से उच्च श्रेणी जोखिम में शामिल किया जाता है। राज्य में इस तरह के 11 बांध हैं। श्रेणी 3 में वे बांध शामिल हैं जिन्हें मामली सुधार के बाद ठीक किया जा सकता है। ये कम जोखिम श्रेणी में हैं।

ये हैं खतरों से भरे 11 बांध
राज्य में श्रेणी 2 में 11 बांधों को रखा गया है। मानसून के पहले और बाद में 2024-25 के दौरान इनका निरीक्षण किया गया है। इसके साथ ही इनकी हेल्थ रिपोर्ट सामने आई है। इन बांधो की सूची इस प्रकार है। मिनीमाता ( हसदेव बांगोपंडित रविशंकर सागर (गंगरेल बांध) पेंड्रावन बांध, आमाबेड़ा बांध, केदारनाला बांध सिकासार बांध आमगांव बांध बृजेश्वर सागर सागर (कोईनारी) बांधकुरिडीह बांध, फरसपाल बांध। जल संसाधन विभाग इन सभी बांधों को खतरों से बचाने के लिए उपाय कर रहा है। इसके साथ ही बांध की सुरक्षा के सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।

 किस बांध पर कैसा खतरा

मिनी माता बांगो- इस बांध में छैतिज दरार देखी गई है। दरारों से पानी का रिसाव दिखता है।

रविशंकर सागर-  गंगरेल बांध पानी के रिसाव, डिस्चार्ज की मात्रा गंभीर पाई गई है।

पेंड्रावन- कई समस्याएं हैं, इनके कारण लंबे समय से डाउन स्ट्रीम हमेशा गीला और जलभराव रहता है।

आमाबेडा- स्पिल चैनल से गुजरने वाली नहर साइफन 2014 में क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस कटाव के कारण स्पिल चैनल में लगभग 40 मीटर गहरा कटाव हो गया है।

केदार नाला- बांध के टो और नहर स्लूस के निकट भी असमान्य रिसाव देखा गया है।

सिकासार- यहां लगभग 6 साल से अधिक समय से डाउन स्ट्रीम पर असामान्य रिसाव देखा गया है।

अमाहगांव- काश्तकार अनिंयत्रित करके से स्लूसगेट खोलकर खेती के लिए पानी ले रहे है इस कारण स्लूस ने नीचे नहर में कटाव हो गया है। जो स्लूस के हेड वाल तक पंहुच गया है। बांध में कई जगह कटाव हो गया है।

बृजेश्वर साह (कोईनारी) बांध के शीर्ष पर मिट्टी का काम आउटलेट संरचना के ह्यूम पाइप नाली की रेखा के साथ धंस गया था।

कुर्रिडीह- निकास संरचना (स्लूस) से स्लूस गेट बंद होने की स्थिति में भी जल का रिसाव नहर के माध्यम से बहता हुआ पाया गया है।

फरसपाल- डाउन स्ट्रीम आउट फॉल चैनल (पैरेंट नाला) जल प्रवाह दिखाई दिया है।

गौरी बांध- पानी ने बोल्डर के चारों ओर मिट्टी के बंध को कमजोर करके बांध के माध्यम से रिसाव पथ विकसित किया है।

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