बिहार चुनाव 2025: 10 निर्णायक कारणों ने बिहार में NDA को दिलाई प्रचंड जीत - महिला, विकास और 'डबल इंजन' ने लिखी सत्ता की नई कहानी
NDA ने बिहार चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की। BJP सबसे बड़ी पार्टी बनी, JDU और सभी सहयोगियों का प्रदर्शन शानदार रहा।
पटना डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम लगभग लगभग घोषित हो चुके हैं और जनता ने एक बार फिर NDA गठबंधन को प्रचंड बहुमत सौंप दिया है। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए गठबंधन की जीत सुनिश्चित की है। इस जीत की सबसे खास बात यह रही कि NDA में शामिल सभी सहयोगी दलों जीतन राम मांझी (HAM-S), चिराग पासवान (LJP-RV) और उपेंद्र कुशवाहा (RLM) ने भी अपने हिस्से की सीटों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
यह जीत न केवल सुशासन और विकास के एजेंडे पर जनता की मुहर है, बल्कि उन महिलाओं और EBC मतदाताओं के अटूट भरोसे का भी परिणाम है जिन्होंने 'जंगलराज' की वापसी के डर को खारिज कर दिया। NDA ने यह साबित कर दिया है कि उसकी 'डबल इंजन' की रणनीति बिहार में अजेय है।
NDA की प्रचंड जीत के 10 मुख्य कारण
1. महिला मतदाताओं का अभूतपूर्व और ऐतिहासिक समर्थन
2025 के चुनाव में 71.6% महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो पुरुषों की भागीदारी (62.8%) से लगभग 9% अधिक था।नीतीश कुमार की 'जीविका दीदी' योजना, पंचायती राज संस्थाओं में 50% महिला आरक्षण, और हाल ही में शुरू की गई महिलाओं को 10,000 की नकद सहायता जैसी योजनाओं ने NDA के लिए एक अखंड विश्वास पैदा किया। महिलाओं ने सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देते हुए भारी संख्या में NDA को वोट दिया।
2. 'ME' समीकरण (महिला + अति पिछड़ा वर्ग) का सफल प्रयोग
बिहार की आबादी का लगभग 36% हिस्सा अति पिछड़ा वर्ग (EBC) का है, जिसका 80% से अधिक हिस्सा NDA के पक्ष में गया। NDA ने RJD के पारंपरिक MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण को बेअसर करने के लिए 'महिला' और 'EBC' को सफलतापूर्वक एकीकृत किया। EBC वर्ग को कल्याणकारी योजनाओं से सीधा लाभ मिला, जिससे वे NDA के नए मजबूत आधार के रूप में उभरे।
3. सुशासन, विकास और 'डबल इंजन' की विश्वसनीयता
NDA ने अपने प्रचार को 'डबल इंजन सरकार' की स्थिरता और विकास के एजेंडे पर केंद्रित रखा। नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' वाली छवि और PM मोदी के नेतृत्व में केंद्र की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन, मतदाताओं को निरंतरता और प्रगति के लिए आश्वस्त करने में सफल रहा।
4. BJP की ऐतिहासिक सीटें और अभेद्य किलों में सेंध
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार उन कई सीटों पर जीत दर्ज की है, जहां उसका कभी खाता नहीं खुलता था, या जो RJD-कांग्रेस का मजबूत गढ़ थे। यह BJP के सामाजिक और भौगोलिक विस्तार को दर्शाता है। पार्टी ने अपनी पारंपरिक शहरी और अगड़ी जाति की सीटों के अलावा, ग्रामीण, EBC-बहुल और सीमांचल की सीटों पर भी ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
5. यादव और मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी
चुनाव परिणामों में स्पष्ट हुआ है कि RJD के पारंपरिक यादव और मुस्लिम वोट बैंक में भी NDA ने अप्रत्याशित रूप से सेंध लगाई है, जिसमें यादव वोटों का 10-15% हिस्सा और मुस्लिम वोटों का 5-8% हिस्सा NDA के उम्मीदवारों को मिला। लाभार्थी योजनाएं और चुनिंदा सीटों पर मजबूत व्यक्तिगत प्रभाव वाले BJP उम्मीदवारों के कारण यह सेंधमारी संभव हुई, जिसने महागठबंधन की ताकत को कमजोर किया।
6. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रव्यापी लोकप्रियता का प्रभाव
प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता NDA के प्रदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण कारक रही है। कई मतदाताओं ने स्थानीय सत्ता विरोधी लहर के बावजूद पीएम मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व और उनकी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी आधार के कारण NDA के पक्ष में मतदान किया।
7. अचूक और समावेशी सीट-शेयरिंग फॉर्मूला
NDA ने BJP, JDU, HAM-S, RLM और LJP (RV) के बीच एक मजबूत और संतुलित गठबंधन बनाया। जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान जैसे नेताओं को शामिल करने से NDA का जातिगत आधार विस्तृत हुआ और सामाजिक प्रतिनिधित्व की भावना मजबूत हुई।
8. 'जंगलराज' की यादें और कानून-व्यवस्था का डर
NDA के प्रचारकों ने RJD के कार्यकाल के दौरान हुई कानून-व्यवस्था की विफलताओं को आक्रामक रूप से उजागर किया। यह रणनीति युवा और महिला मतदाताओं के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ी, जिन्होंने सुरक्षित माहौल को प्राथमिकता दी और 'जंगलराज' की वापसी के डर से NDA को वोट दिया।
9. JDU का शानदार प्रदर्शन और नीतीश पर भरोसा
JDU ने अपनी सीटों पर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार की प्रशासनिक क्षमता पर मतदाताओं का भरोसा बना रहा।मतदाताओं ने उनके लगातार पाला बदलने के बावजूद, उनकी प्रशासनिक क्षमता और भ्रष्टाचार मुक्त छवि पर भरोसा बनाए रखा।
10. लाभुक वर्ग का एकीकरण
केंद्र और राज्य सरकार की आवास, शौचालय, मुफ्त राशन (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) जैसी योजनाओं से बिहार में 4 करोड़ से अधिक लोग सीधे लाभान्वित हुए। इन लाभार्थियों ने किसी भी जाति या क्षेत्र से ऊपर उठकर, सीधे सरकारी योजनाओं से मिले लाभ के लिए NDA को वोट दिया, जिससे गठबंधन को निर्णायक जीत मिली।