बिहार: कांग्रेस ने 43 नेताओं को भेजा कारण बताओ नोटिस, 21 नवंबर तक मांगा जवाब, जानिए क्या है वजह

बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी-विरोधी गतिविधियों पर कांग्रेस ने बड़ा एक्शन लेते हुए 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और कई पदाधिकारी शामिल हैं। समिति ने 21 नवंबर दोपहर तक लिखित जवाब मांगा है।

Updated On 2025-11-18 16:40:00 IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे। (फाइल फोटो)

Bihar Congress notice : बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ने संगठन के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई तेज कर दी है। पार्टी ने चुनावी अवधि में कथित रूप से पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस पाने वालों में कई दिग्गज नेता, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और जिला अध्यक्ष भी शामिल हैं।

कांग्रेस नेताओं को क्यों भेजा गया नोटिस?

प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिल देव प्रसाद यादव के अनुसार, चुनाव के दौरान कुछ नेताओं द्वारा मीडिया और अन्य सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की आधिकारिक लाइन से हटकर बयान दिए गए थे। इससे कांग्रेस की छवि और चुनावी प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसी आधार पर अनुशासन समिति ने सभी संबद्ध व्यक्तियों से 21 नवंबर दोपहर 12 बजे तक अपना लिखित जवाब मांगा है।

स्पष्टीकरण नहीं देने पर होगी कार्रवाई

समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि निर्धारित समय सीमा में स्पष्टीकरण उपलब्ध न कराने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसमें कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता समाप्त करने से लेकर छह वर्ष तक निष्कासन तक की कार्रवाई शामिल हो सकती है।

किन नेताओं को भेजा गया नोटिस?

नोटिस पाने वालों में पूर्व मंत्री अफाक आलम, पूर्व विधायक छत्रपति यादव, पूर्व मंत्री वीणा शाही, पूर्व एमएलसी अजय कुमार सिंह, पूर्व विधायक गजानंद शाही उर्फ मुन्ना शाही, पूर्व प्रवक्ता आनंद माधव, सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी, बांका जिला अध्यक्ष कंचना कुमारी, सारण जिला अध्यक्ष बच्चू कुमार बीरू, और पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष राज कुमार राजन सहित कई पदाधिकारी शामिल हैं।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 6 सीटें मिली थीं, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम भी अपनी सीट नहीं बचा सके। कमजोर प्रदर्शन के बाद यह कार्रवाई पार्टी एकता और अनुशासन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

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