बिहार चुनाव 2025: योगी फैक्टर भी बना बिहार में गेम चेंजर! 31 रैलियों ने NDA के लिए खोला प्रचंड बहुमत का रास्ता
सीएम योगी ने बिहार चुनाव में 10 दिन में 31 रैलियां और 1 रोड शो कर धुआंधार प्रचार किया। उनकी सभाओं में उमड़ी जबरदस्त भीड़ और उम्मीदवारों की अत्यधिक मांग ने साबित किया कि 'योगी फैक्टर' निर्णायक रहा।
सीएम योगी ने एनडीए गठबंधन के लिए 'प्रचंड बहुमत' की मजबूत नींव तैयार की।
लखनऊ डेस्क : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जो धुआंधार चुनावी जनसभाएं की , राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अब वह एनडीए गठबंधन के लिए 'प्रचंड बहुमत' की मजबूत नींव तैयार कर चुका है।
महज 10 दिनों की अवधि में 31 जनसभाओं और एक रोड शो के रूप में कुल 32 चुनावी कार्यक्रमों को संबोधित कर उन्होंने बिहार के लगभग हर प्रमुख क्षेत्र को छूने का प्रयास किया, जिसका सीधा असर अब चुनाव परिणामों में दिखाई देने की उम्मीद है।
धुआंधार प्रचार- 10 दिन, 31 जनसभाएं 1 रोड शो
सीएम योगी ने अपनी पूरी ताकत बिहार के रण में झोंक दी थी। 10 दिनों के भीतर, उन्होंने औसतन प्रतिदिन तीन से अधिक जनसभाएं कीं। इन 31 रैलियों के अलावा, दरभंगा में किया गया उनका रोड शो भी मीडिया की सुर्खियों में रहा। यह आकंड़ा खुद इस बात का प्रमाण है कि योगी आदित्यनाथ केवल स्टार प्रचारक नहीं, बल्कि एनडीए के लिए 'वोट खींचने वाले इंजन' बन चुके हैं।
उनकी यह रिकॉर्ड तोड़ यात्रा न केवल पार्टी के मनोबल को बढ़ाने वाली थी, बल्कि विपक्ष को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर करने वाली भी साबित हुई।
सभाओं में उमड़ी 'जबरदस्त भीड़' ने NDA के पक्ष में माहौल किया
योगी आदित्यनाथ की जनसभाओं की सबसे बड़ी पहचान थी उसमें उमड़ने वाली 'जबरदस्त भीड़'। हर रैली स्थल पर, चाहे वह सीवान हो, समस्तीपुर हो या गोपालगंज, युवाओं और महिलाओं का हुजूम देखने को मिला, जिसे कई मीडिया कैमरों ने अपने लेंस में कैद किया।
यह भारी भीड़ केवल एक शो नहीं थी; राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस भीड़ ने ही बिहार में 'सत्ता विरोधी लहर' के दावों को ध्वस्त कर दिया और एनडीए के पक्ष में स्पष्ट 'जनादेश की लहर' को जमीन पर उतारा।
एनडीए उम्मीदवारों में 'योगी की सभाओं' की रही सर्वाधिक मांग
चुनाव अभियान के अंतिम चरणों में एनडीए गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों की मांग सबसे अधिक रही, जिन विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबला कड़ा था या जहां समीकरणों को निर्णायक मोड़ देना आवश्यक था, वहां के उम्मीदवारों ने शीर्ष नेतृत्व से योगी की सभाओं को सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
इसका मुख्य कारण यह था कि योगी की फायरब्रांड शैली और स्पष्ट राष्ट्रवादी एजेंडा मतदाताओं के एक बड़े हिस्से, खासकर युवाओं और शहरी मतदाताओं को तुरंत आकर्षित करता है।
उनकी उपस्थिति ने न केवल स्थानीय उम्मीदवारों को मजबूत किया, बल्कि गठबंधन के लिए एक 'संकटमोचक' की भूमिका भी निभाई।
बिहार से पहले भी दिखा योगी फैक्टर का असर- 'प्रचंड बहुमत' की हैट्रिक
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि योगी आदित्यनाथ की तूफानी रैलियों का असर केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है। उनकी यह सफलता ऐसे समय में आई है जब हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने प्रमुखता से जनसभाएं की थीं। पार्टी का दावा है कि इन सभी राज्यों में उनके प्रचार के बाद भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था, जो उनकी लोकप्रियता और चुनावी असर को सिद्ध करता है।
इस रिकॉर्ड को देखते हुए, राजनीतिक विश्लेषकों ने पहले ही यह मान लिया था कि बिहार में भी 'योगी फैक्टर' एनडीए के लिए बड़ा गेम चेंजर साबित होगा और गठबंधन को एकतरफा जीत दिलाएगा।