बिहार चुनाव 2025: इन दो सीटों पर अड़े चिराग पासवान, NDA में सीट शेयरिंग पर धर्मेंद्र प्रधान की नजर

Bihar Chunav 2025: एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर गतिरोध जारी है। एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान जमुई की चकाई और सिकंदरा सीट की डिमांड पर अड़े हैं। धर्मेंद्र प्रधान इस पेच को सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं, क्योंकि इन सीटों पर जेडीयू और हम के नेता भी दावेदारी जता रहे हैं।

Updated On 2025-10-11 16:15:00 IST

Bihar election 2025

Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Chunav 2025) को लेकर एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग का मसला अब भी सुलझ नहीं पाया है। खासकर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की दो विधानसभा सीटों की डिमांड ने पेच फंसा दिया है।

सूत्रों के मुताबिक चिराग पासवान जमुई जिले की चकाई और सिकंदरा सीट की मांग पर अड़े हुए हैं।

चिराग पासवान की दो सीटों पर जिद

पार्टी सूत्रों का कहना है कि चिराग का तर्क है कि फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर एलजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इसलिए उनका मानना है कि इन इलाकों में अब भी एलजेपी (रामविलास) का जनाधार मौजूद है।

इसके अलावा, यह दोनों सीटें जमुई लोकसभा क्षेत्र में आती हैं, जहां से इस वक्त चिराग के जीजा अरुण भारती सांसद हैं। खुद चिराग भी दो बार इसी सीट से सांसद रह चुके हैं।

एनडीए में सीट बंटवारे पर पेच

चकाई सीट से वर्तमान में सुमित कुमार सिंह, जो सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं, मंत्री हैं। वहीं सिकंदरा सीट पर ‘हम’ पार्टी के प्रफुल्ल मांझी विधायक हैं।

अगर ये दोनों सीटें एलजेपी (रामविलास) को दी जाती हैं, तो इससे जेडीयू और हम पार्टी दोनों असंतुष्ट हो सकते हैं। यही कारण है कि एनडीए में सीट शेयरिंग का फार्मूला फंस गया है।

धर्मेंद्र प्रधान की मध्यस्थता

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस विवाद को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा और एलजेपी (रामविलास) नेताओं की मुलाकातें सकारात्मक रही हैं।

उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रवार शाम तक सीट शेयरिंग का अंतिम फैसला हो सकता है।

पिछली बार जमानत जब्त

2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन दोनों की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बावजूद चिराग अब भी इन सीटों को लेकर अडिग हैं, क्योंकि वे इन्हें “जनाधार और प्रतिष्ठा” से जोड़कर देख रहे हैं।

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