विंटर सत्र 2025: लोकसभा में "वंदे मातरम्" पर PM मोदी का ऐतिहासिक भाषण, जानिए 10 बड़ी बातें

Winter Session 2025: वंदे मातरम् के 150 साल पर लोकसभा में PM मोदी का एक घंटे का भाषण। उन्होंने राष्ट्रगीत की ऐतिहासिक भूमिका और विवादों पर कड़े सवाल उठाए।

Updated On 2025-12-08 16:30:00 IST

वंदे मातरम पर लोकसभा की विशेष चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रगीत की ऐतिहासिक भूमिका और राजनीतिक विवादों पर अपनी बात रखी।

संसद के विंटर सत्र के दौरान सोमवार, 8 दिसंबर को लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने पर एक खास चर्चा की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब एक घंटे तक बोलते हुए इस मौके को देश और संसद के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम्सि र्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता यात्रा और राष्ट्रीय चेतना की आत्मा रहा है।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में औपनिवेशिक शासन का समय, आजादी का संघर्ष और इमरजेंसी के दौर में वंदे मातरम् की भूमिका पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए सब कुछ त्याग दिया, उनके संघर्ष में वंदे मातरम एक प्रमुख प्रेरणा शक्ति बनकर सामने आया।

प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि आखिर किन कारणों से वंदे मातरम् के साथ “इतना बड़ा अन्याय” हुआ और क्यों इसे हाशिये पर रखा गया। उनका संकेत साफ था कि कुछ राजनीतिक ताकतों ने तुष्टिकरण की नीति के चलते इस गीत को विवादों में खींचा और यह बताने की कोशिश की कि यह देश की एकता का नहीं, बल्कि विभाजन का मुद्दा है।

PM मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें


1. ‘वंदे मातरम् ने भारतीयों में साहस और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “जब बंकिम दा ने ‘वंदे मातरम्’ की रचना की, तो स्वाभाविक रूप से वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा पर्व बन गया। पूर्व से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक...हर भारतीय की जुबान पर एक ही संकल्प गूंजने लगा- वंदे मातरम् !

यह केवल दो शब्द नहीं थे। यह सजीव मंत्र था, विजय का महामंत्र था, शक्ति का आह्वान था। उष्ण रक्त से लिखा गया वह घोष था-‘मातृभूमि की स्वतंत्रता की वेदी पर स्वार्थ का बलिदान चाहिए’।”

उन्होंने कि ‘वंदे मातरम्’ उस समय लिखा गया था, जब 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार सतर्क थी और हर स्तर पर दबाव और अत्याचार की नीतियां लागू कर रही थी। उस दौर में ब्रिटिश राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द क्वीन’ को हर घर तक पहुंचाने की मुहिम चल रही थी। ऐसे समय में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी लेखनी से जवाब देते हुए ‘वंदे मातरम्’ लिखा और भारतीयों में साहस और आत्मविश्वास की नई लहर पैदा की।

2. नेहरू की चिट्ठी और जिन्ना का विरोध

पीएम मोदी ने कहा, 1937 में मुस्लिम लीग ने “वंदे मातरम्” के खिलाफ जबरदस्त राजनीतिक अभियान छेड़ दिया था। 15 अक्टूबर को लखनऊ में मोहम्मद अली जिन्ना ने खुलकर इसका विरोध किया और इसे हिन्दू-वर्चस्व का प्रतीक बताया।

जिन्ना के इस हमले से कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू बैकफुट पर आ गए। आधारहीन आरोपों की निंदा करने या कड़ा जवाब देने के बजाय, उन्होंने खुद ही “वंदे मातरम्” की वैधता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया।

महज पांच दिन बाद, 20 अक्टूबर 1937 को नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखा और जिन्ना की भावनाओं से सहानुभूति जताते हुए कहा कि आनंदमठ की पृष्ठभूमि के कारण यह गीत मुसलमानों को आहत कर सकता है।

फिर 26 अक्टूबर को कोलकाता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। देशभर में हिन्दू समाज ने इसका पुरजोर विरोध किया, सड़कों पर प्रभात-फेरियां निकलीं, लेकिन कांग्रेस टस-से-मस नहीं हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि अब सिर्फ गीत के पहले दो छंद ही गाए जाएंगे; बाकी हिस्सा जिसे सबसे अधिक राष्ट्रवादी और हिन्दू-भावना से ओत-प्रोत माना जाता था, उसे हटा दिया गया।

बाहर यह बताया गया कि यह “साम्प्रदायिक सद्भाव” के लिए जरूरी कदम है, पर सच यह था कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के दबाव में घुटने टेक दिए थे और एक राष्ट्रीय गीत को टुकड़ों में बांटकर उसकी आत्मा मार दी थी।

3. ‘कुछ ताकतों ने राष्ट्रगीत से विश्वासघात किया’

मोदी ने इस बहस के दौरान कहा कि इतिहास के कठिन समय में कुछ राजनीतिक ताकतों ने राष्ट्रगीत को स्वीकार करने की जगह उसका विरोध किया या उसे पीछे धकेलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसलों ने आने वाली पीढ़ियों में भ्रम पैदा किया। मोदी के मुताबिक वंदे मातरम एक भावनात्मक धरोहर है और इसके साथ न्याय होना चाहिए।

4. ‘हम यहां इसलिए बैठे हैं, क्योंकि लाखों लोगों ने यह नारा लगाया’

पीएम मोदी ने याद दिलाया कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वंदे मातरम्सि र्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी नारा था जिसे सुनकर देश के नौजवान आज़ादी के लिए खड़े हुए। मोदी ने कहा कि अगर लाखों लोगों ने वंदे मातरम् बोलते हुए लड़ाई न लड़ी होती, तो आज हम इस संसद में स्वतंत्र रूप से चर्चा नहीं कर पाते।

5. वंदे मातरम औपनिवेशिक शासन के खिलाफ युद्धघोष

पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम् केवल अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई का मंत्र नहीं था, बल्कि यह मातृभूमि की मुक्ति की पवित्र जंग का प्रतीक था। यह गीत उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान का सम्मान करता है जिन्होंने इसे अपने आंदोलन का हिस्सा बनाया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम्ने आजादी की लड़ाई में ऊर्जा, प्रेरणा और उत्साह दिया। स्वतंत्रता सेनानी इस गीत को सुनकर जोश से भर जाते थे। उनके अनुसार, यह मंत्र भारत की आत्मा को जगाने वाला एक ऐतिहासिक प्रतीक है।

6. वंदे मातरम् संग उभरता

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारत की प्रगति का सफर साफ दिखाई देता है। जब इस गीत के 50 साल हुए थे, तब देश गुलामी की बेड़ियों में बंधा था। 100 साल पूरे होने पर राष्ट्र आपातकाल की परिस्थितियों से गुजर रहा था। लेकिन आज, 150 साल बाद भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तेज गति से आगे बढ़ रहा है।"

7. हमें वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है ‘वंदे मातरम्’’

प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम ‘वंदे मातरम्’ कहते हैं, तो यह हमें वैदिक युग की संस्कृति की याद दिलाता है। वेदों में कहा गया है कि माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः, अर्थात यह भूमि मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूं। यही विचार भगवान राम ने भी व्यक्त किया था, जब उन्होंने कहा कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। आज ‘वंदे मातरम्’ इसी महान सांस्कृतिक परंपरा का आधुनिक रूप है।”

8. इमरजेंसी के समय संविधान का गला घोटा गया

मोदी ने कहा कि जब वंदे मातरम् के 100 साल पूरे हो रहे थे, तब देश इमरजेंसी की गिरफ्त में था। उस दौर में अभिव्यक्ति की आज़ादी खत्म हो चुकी थी और देशभक्ति का प्रतीक बनने वाली आवाजें दबा दी गई थीं। उन्होंने कहा कि वह समय भारत के लोकतंत्र के लिए सबसे कठिन दौर था।

9. इतिहास का काला अध्याय

प्रधानमंत्री ने इमरजेंसी को भारत के इतिहास का काला समय बताया, जब संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए और देश भय के माहौल में जी रहा था। मोदी ने कहा कि आज संसद के पास अवसर है कि वह इतिहास की कमियों को ठीक करे और राष्ट्रगीत की गरिमा को और मजबूत बनाए।

10. गौरव और परंपरा का उत्सव

मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरा होना सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि उन बलिदानों को याद करने का अवसर है जिन्होंने इस देश को आज़ादी दिलाई। उन्होंने इसे राष्ट्रीय गौरव का क्षण बताया और कहा कि संसद इस समय को ऐतिहासिक रूप से दर्ज करे।

यहां देखिए पीएम मोदी का पूरा भाषण 

Full View


Tags:    

Similar News