US टैरिफ पर RSS प्रमुख सख्त: मोहन भागवत बोले-भारत को अपनी राह खुद बनानी होगी, अमेरिका की शर्तों पर नहीं
RSS चीफ मोहन भागवत ने H-1B वीजा फीस और टैरिफ पर अमेरिका की सोच को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। कहा- भारत को खंडित विकास मॉडल से हटकर अपना सनातन मार्ग चुनना होगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
US टैरिफ पर RSS प्रमुख मोहन भागवत सख्त, कहा-भारत खुद चुने अपनी राह
Mohan Bhagwat on Global Issues: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने US टैरिफ और H-1B वीजा फीस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, भारत को आंख मूंदकर आगे नहीं बढ़ना चाहिए, बल्कि आत्मनिर्भर सोच के साथ हमें अपना रास्ता खुद तय करना होगा।
मोहन भागवत ने रविवार (22 सितंबर 2025) को दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए जो भी जरूरी हो, वह करना चाहिए, लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियां न बनें, इसके लिए हमें सनातन भारतीय दृष्टिकोण को अपनाना होगा।
मोहन भागवत ने बताई समस्या की वजह
मोहन भागवत ने कहा, भारत समेत दुनिया के अन्य देश जिन समस्याओं से जूझ रहे हैं, वे बीते दो हजार वर्षों में विकसित हुई उस खंडित सोच का परिणाम हैं, जिसमें सुख और विकास को 'मैं और बाकी दुनिया' या 'हम और वे' की दृष्टि से देखा गया है। हम अगर इन हालातों से बचना चाहते हैं, तो जीवन के सनातन मूल्यों को आधार बनाकर, विकास की नई परिभाषा गढ़नी होगी।
अमेरिका सिर्फ अपना हित सोचता है
मोहन भागवत ने एक मुलाकात का ज़िक्र करते हुए कहा, तीन साल पहले अमेरिका के वरिष्ठ व्यक्ति से बातचीत हुई थी। उस दौरान उन्होंने लगातार इसी बात पर ज़ोर दिया था कि भारत-अमेरिका सहयोग तभी संभव है, जब अमेरिकी हित सुरक्षित रहें।
राष्ट्रहित ही नहीं, व्यक्ति हित भी जरूरी
संघ प्रमुख ने कहा, हर किसी के अपने हित हैं। जो ऊपर है, वही नीचे वालों को खा जाएगा। सिर्फ राष्ट्रहित ही काफी नहीं, व्यक्ति हित भी जरूरी है। यह हित संतुलन से ही सुरक्षित रह सकता है।भारत को खुद बनना होगा मार्गदर्शक
RSS प्रमुख ने कहा कि भारत को अगर 'विश्वगुरु' और 'विश्वामित्र' बनना है, तो उसे दूसरों की शर्तों पर नहीं, बल्कि अपने परंपरागत दृष्टिकोण के आधार पर दुनिया को रास्ता दिखाना होगा। उसे खुद अपना मार्गदर्शक बनना होगा।
हमारा दृष्टिकोण सनातन आधारित
भागवत ने यह भी कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसने पर्यावरणीय वादों को पूरी तरह निभाया है, जबकि बाकी देश सिर्फ दिखावे तक सीमित हैं। हमारा दृष्टिकोण सनातन है, पुराना नहीं। यह हजारों सालों के अनुभव और संतुलित जीवन के सिद्धांतों पर आधारित है।