ट्रंप का दावा: पाकिस्तान और चीन कर रहे हैं परमाणु परीक्षण, भारत के लिए बढ़ी चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान और चीन, रूस और उत्तर कोरिया के साथ परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। यह भारत के लिए चिंताजनक है क्योंकि उसे दो परमाणु संपन्न देशों से एक साथ खतरा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप।
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा दावा किया है कि पाकिस्तान और चीन परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं। CBS चैनल को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि रूस और उत्तर कोरिया भी अपने परमाणु कार्यक्रमों को गुप्त रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।
ट्रंप ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी सेनाओं को 33 साल बाद परमाणु परीक्षण शुरू करने का आदेश इसलिए दिया, क्योंकि अन्य देश पहले से ही ऐसा कर रहे हैं, बस इस बारे में खुलकर बात नहीं करते।
चीन और पाकिस्तान कर रहे हैं परीक्षण
ट्रंप ने कहा, “रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। वे गुप्त रूप से भूमिगत परीक्षण करते हैं। पाकिस्तान भी ऐसा ही कर रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत और पाकिस्तान मई महीने में परमाणु युद्ध के कगार पर थे, और उन्होंने (ट्रंप ने) हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रण में लाया।
ट्रंप ने दावा किया, ''अगर मैंने बीच में दखल नहीं दिया होता, तो लाखों लोग मारे जाते।''
भारत के लिए क्यों है खतरा?
ट्रंप के इस बयान ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता बढ़ा दी है। भारत दो ऐसे पड़ोसियों—पाकिस्तान और चीन—से घिरा है जो परमाणु शक्तियां हैं। भारत की “नो फर्स्ट यूज़” नीति होने के बावजूद, दोनों देशों के गुप्त परीक्षण क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं।
- भारत के पास लगभग 180 परमाणु वारहेड हैं (2025 के अनुमान के अनुसार)
- चीन के पास करीब 600 वारहेड हैं, जो 2030 तक 1000 तक पहुंच सकते हैं
- पाकिस्तान के पास करीब 170 वारहेड हैं, जो 2028 तक 200 तक बढ़ सकते हैं
चीन की तकनीकी बढ़त और भारत की चुनौती
चीन ने 2021 में Fractional Orbital Bombardment System (FOBS) तकनीक का परीक्षण किया था, जिससे उसके वारहेड पृथ्वी की कक्षा में घूमकर लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। यह प्रणाली भारत की मौजूदा मिसाइल डिफेंस क्षमता (जैसे Prithvi Defence Vehicle) को चुनौती देती है।
भारत को चाहिए Pokhran-III परीक्षण?
1998 के पोखरण-II परीक्षण की विश्वसनीयता पर कभी-कभी सवाल उठते रहे हैं। DRDO वैज्ञानिक के. संथानम ने इसे “असफल थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण” बताया था।
अब ट्रंप के इस बयान और अमेरिका द्वारा फिर से परीक्षण शुरू करने के फैसले ने भारत के लिए Pokhran-III परीक्षण की संभावना को नया आयाम दिया है — जिससे भारत अपने हाइड्रोजन बम की प्रभावशीलता और नई पीढ़ी की मिसाइलों (Agni-VI, K-5 SLBM) के लिए मिनिएचर वारहेड विकसित कर सके।