No Flying Zone: जम्मू-कश्मीर सरकार' का बड़ा फैसला; अमरनाथ यात्रा मार्ग पर 1 जुलाई से नहीं उड़ेंगे ड्रोन

Amarnath Yatra 2025: 'अमरनाथ यात्रा' पर जाने वालों के लिए बड़ा अपडेट है। 'जम्मू-कश्मीर सरकार' ने 3 जुलाई से शुरू हो रही यात्रा की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने यात्रा मार्ग को 'नो फ्लाइंग जोन' (No Flying Zone) घोषित किया है।

Updated On 2025-06-30 13:49:00 IST

Amarnath Yatra 2025: 'अमरनाथ यात्रा' पर जाने वालों के लिए बड़ा अपडेट है। 'जम्मू-कश्मीर सरकार' ने 3 जुलाई से शुरू हो रही यात्रा की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने पहलगाम हमले को ध्यान में रखकर यात्रा मार्ग को 'नो फ्लाइंग जोन' (No Flying Zone) घोषित किया है। अमरनाथ यात्रा के पहलगाम और बालटाल वाले दोनों रास्तों पर सभी हवाई उपकरण-ड्रोन, यूएवी और गुब्बारे प्रतिबंधित रहेंगे। सरकार का यह फैसला 1 जुलाई से 10 अगस्त तक प्रभावी रहेगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि मेडिकल इवैक्युएशन, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा बलों की तरफ से की जा रही निगरानी उड़ानों पर प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। 

अमरनाथ यात्रा के दो रूट
अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी और 9 अगस्त तक चलेगी। भगवान शिव की पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला पहलगाम रूट है।इस रास्ते से गुफा तक पहुंचने में लगभग तीन दिन लगते हैं। यात्रा की शुरुआत पहलगाम से होती है। पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है। 3 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद यात्री पिस्सू टॉप पहुंचते हैं। फिर यहां से 9 किमी चलने के बाद शेषनाग पहुंचते हैं। फिर 14 किमी का सफर करने के बाद यात्री पंचतरणी जाते हैं। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।

बालटाल रूट: संकरा रास्ता, खड़ी चढ़ाई
बालटाल से दूसरा रास्ता शुरू होता है। यह मार्ग अपेक्षाकृत छोटा है। एकदम खड़ी चढ़ाई है।बालटाल से गुफा तक की दूरी केवल 14 किलोमीटर है। रास्ता अधिक सीधा और खड़ी चढ़ाई वाला है। बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर यात्रियों के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण है। इस रूट पर रास्ते संकरे होते हैं और तेज मोड़ होने की वजह से सावधानी जरूरी है।

58 हजार सुरक्षाकर्मी रहेंगे तैनात 
जम्मू-कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम किए हैं। यात्रा में सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए पहली बार जैमर सिस्टम लगाए जा रहे हैं। निगरानी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) करेगी। यात्रा में 58,000 सुरक्षाकर्मी तैनात करेंगे। श्रद्धालुओं को कंधे पर बिठाकर ले जाने वाले पोनी वालों का वैरिफिकेशन होगा। जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड होंगे। उन्हें सेवा की अनुमति नहीं दी जाएगी। घोड़े और खच्चरों की टैगिंग होगी ताकि यात्रा मार्ग से भटकने पर रियल टाइम में ट्रैक किए जा सकें।

इलाके में ड्रोन से निगरानी होगी
रोड ओपनिंग पार्टी (ROP) रास्ते को सुरक्षित करेगी। क्विक एक्शन टीम (QAT) किसी भी खतरे का तुरंत जवाब देगी। बम डिफ्यूज़ल स्क्वॉड को अलर्ट पर रखा गया है। K9 यूनिट्स (विशेष ट्रेनिंग पाए खोजी कुत्ते) भी सुरक्षा में लगाए जाएंगे। पूरे इलाके में ड्रोन के ज़रिए निगरानी की जाएगी।

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