सलमान रुश्दी की किताब पर 1988 में लगा बैन अब रद़्द: दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें पूरा मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1988 में लगे सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर आयात बैन को रद्द कर दिया है। अब तीन दशकों से अधिक समय के बाद किताब पर लगा प्रतिबंध हट सकता है। 

Updated On 2024-11-08 15:10:00 IST
Salman Rushdie book ban

Salman Rushdie Book Ban: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सलमान रुश्दी की विवादित किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर लगे 1988 के आयात बैन को समाप्त करने का संकेत दिया। अदालत ने कहा कि सरकार इस प्रतिबंध का कोई आधिकारिक दस्तावेज पेश करने में असमर्थ रही है। 1988 में राजीव गांधी सरकार द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध के हटने से अब यह किताब भारत में भी उपलब्ध हो सकेगी, जो दुनिया भर में चर्चित और विवादित रही है। 

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह माना कि सरकार 1988 के प्रतिबंध से संबंधित कोई अधिसूचना प्रस्तुत नहीं कर सकी। इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति रेखा पाली ने कहा कि अगर अधिसूचना का कोई प्रमाण नहीं है तो इसे मानने का कोई आधार नहीं है। अदालत के इस फैसले ने 30 साल से अधिक समय से जारी इस प्रतिबंध को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाया है, जिससे यह विवादास्पद किताब फिर से पाठकों तक पहुंच सकेगी। 

1988 में लगाया गया था प्रतिबंध
सलमान रुश्दी की किताब पर 1988 में राजीव गांधी सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। इस किताब को मुस्लिम समुदाय द्वारा धर्म-विरोधी और आपत्तिजनक माना गया था। इसके चलते दुनियाभर में किताब को लेकर कई विरोध प्रदर्शन हुए थे। किताब के खिलाफ हुई हिंसा के कारण कई देशों ने इसे अपने यहाँ प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें भारत भी शामिल था, जो मुस्लिम आबादी वाला एक बड़ा देश है।

कोर्ट में लंबा चला विवाद
इस केस में याचिकाकर्ता संदीपन खान ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनके पास किताब को भारत में लाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने यह तर्क दिया कि 1988 में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन इस अधिसूचना की प्रति न तो किसी सरकारी दस्तावेज़ में थी और न ही किसी संबंधित विभाग के पास। कोर्ट ने इस पर ध्यान देते हुए इस मामले को अब समाप्त मान लिया है।

सलमान रुश्दी के खिलाफ जारी हुआ था फतवा
1989 में ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था, जिसमें मुस्लिमों से रुश्दी की हत्या करने की अपील की गई थी। इस फतवे के बाद रुश्दी को अपनी जान बचाने के लिए छिपकर रहना पड़ा। पिछले वर्ष अगस्त 2022 में न्यूयॉर्क में एक लेक्चर के दौरान उन पर हमला हुआ था, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। 

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