Live-In का मामला: फिजिकल रिलेशन के सबूत मिले, तो महिला पार्टनर भरण-पोषण की हकदार', MP हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

MP High Court: लिव इन रिलेशनशिप का चलन देश में खूब बढ़ रहा है। महिलाएं और पुरुष लंबे समय तक एक साथ रहते हैं। लेकिन विवाद होने पर अलग हो जाते हैं। ऐसे में महिला भरण पोषण का दावा भी नहीं कर पाती है। ऐसे में जबलपुर हाईकोर्ट का फैसला नजीर है।

Updated On 2024-04-06 16:58:00 IST
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MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप और महिलाओं के अधिकार को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी पुरुष के साथ काफी समय तक रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है। इसके लिए कानूनी रूप से विवाहित न होना भी मायने नहीं रखता है। 

कोर्ट ने यह टिप्पणी बालाघाट के शैलेश बोपचे नाम के शख्स की याचिका को निरस्त करते हुए की। याचिकाकर्ता  शैलेश ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे महिला को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता देने का आदेश दिया गया था। शैलेश महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था। लेकिन बाद में वह अलग हो गई थी। 

Jabalpur High Court

याचिकाकर्ता ने बनाया था ये आधार
शैलेश ने जिला अदालत के तर्क को आधार बनाकर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिला अदालत ने माना था कि महिला यह साबित करने में विफल रही थी कि उसकी शैलेश के साथ शादी मंदिर में हुई थी।  

इस पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकल पीठ ने कहा कि शैलेश का एकमात्र तर्क यह कि महिला कानूनी तौर पर यह साबित नहीं कर सकी कि वह उसकी पत्नी है। इसलिए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण पोषण राशि की मांग का आवेदन विचार करने के लायक नहीं है। हालांकि महिला ने लंबे समय तक शैलेश के साथ रहने के ठोस सबूत दिए हैं। लिहाजा फैसला महिला के हक में जाता है। 

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यदि जोड़े के बीच सहवास का सबूत है तो भरण-पोषण से इनकार नहीं किया जा सकता है। पुरुष और महिला पति और पत्नी के रूप में रह रहे थे। दोनों से एक बच्चे का जन्म भी हुआ। अदालत ने महिला के भरण-पोषण के अधिकार की पुष्टि की।

उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
फरवरी में उत्तराखंड सरकार सभी नागरिकों के लिए समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए एक समान नागरिक संहिता लाई। विधेयक की एक धारा में लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि जोड़े 21 वर्ष से कम आयु के वयस्क हैं तो उनके माता-पिता को सूचित किया जाएगा।

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