Igla-S Missiles: भारतीय सेना को मिलीं रूस की अत्याधुनिक मिसाइलें; पल भर में ध्वस्त होंगे दुश्मन के ड्रोन और हेलीकाफ्टर

Igla-S missile: पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत ने रूस से 250 करोड़ के रक्षा सौदे किए हैं। मोदी सरकार ने रूस में Igla-S वायु रक्षा मिसाइलें खरीदी है।

Updated On 2025-05-04 14:03:00 IST
Igla-S Missiles

Igla-S air defense missile: पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना हाईटेक उपकरणों से लैस हो रही है। फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों के बाद आर्मी को रूस की Igla-S वायु रक्षा मिसाइलें मिली हैं। यह मिसाइलें हवाई हमले रोकने में मददगार साबित होंगी। 

Igla-S वायु रक्षा मिसाइलें पोर्टेबल और कंधे से दागी जाने वाली मिसाइलें हैं, जो दुश्मन के कम उड़ान वाले विमान, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन की गई हैं। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना को कुछ हफ़्ते पहले ही इग्ला-एस वायु रक्षा मिसाइलों की नई आपूर्ति मिली है। 

इग्ला-एस मिसाइल की वर्किंग प्रोसेस 
इग्ला-एस मिसाइल कंधे से लॉन्च की जाने वाली और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) हैं, जो इन्फ्रारेड (आईआर) होमिंग का उपयोग कर हवाई लक्ष्यों के ताप संकेतों को लॉक कर देती हैं। फायर करते ही यह मिसाइल टारगेट (दुश्मनों के विमान) के इंजन तक पहुंच जाती हैं। यह मिसाइल 6 किमी दूर और 3.5 किमी की उंचाई पर लक्ष्य भेदने में सक्षम हैं।

बेहतर प्रतिरोध क्षमता
इग्ला-एस मिसाइलें 1990 के दशक में ईजाद की गईं थीं, लेकिन सरकार ने इनका अपडेटेड वर्जन खरीदा है। जो बेहतर प्रतिरोध क्षमता और सीकर सटीकता के साथ वार करती हैं। भारतीय सेना ने स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से पुराने स्टॉक का भी नवीनीकरण किया है।

इग्ला-एस के अलावा IDD&IS भी तैनात 
अधिकारियों के मुताबिक, इग्ला-एस के अलावा स्वदेशी एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (IDD&IS) भी तैनात किया गया है, जो 8 किमी से अधिक दूरी से ड्रोन को रोकने में सक्षम है। इसके लेजर ड्रोन को जलाकर गिरा देंगे। एयरफोर्स ने इसकी मदद से हाल ही में पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराया है। 

DRDO की तैयारी 
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) लंबी दूरी और उच्च शक्ति वाली वायु रक्षा मिसाइल विकसित कर रहा है, जो युद्ध के दौरान बड़े यूएवी, क्रूज मिसाइलों और विमानों को मार गिराने में सक्षम होगा। भारतीय सेना पारंपरिक रडार कवरेज के तहत उड़ान भरने वाले हवाई खतरों का पता लगाने में सुधार भी कर रही है।  

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