Religious Harmony: हाईकोर्ट ने कहा- मस्जिद में 'जय श्री राम' के नारे लगाने से धार्मिक भावनाओं को नहीं पहुंचती ठेस

Religious Harmony: कर्नाटक हाईकोर्ट ने शीर्ष अदालत के एक आदेश के हवाले से कहा कि हर कार्य को धारा 295A के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।

Updated On 2024-10-16 09:24:00 IST
Karnataka High Court

Religious Harmony: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मस्जिद में 'जय श्री राम' के नारे लगाने के मामले में दो आरोपियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह समझ नहीं आता कि अगर कोई 'जय श्री राम' के नारे लगाए तो किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को कैसे ठेस पहुंच सकती है।

युवक के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज था केस
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। साथ ही उन्हें धारा 447 (आपराधिक अतिक्रमण), 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने वाले बयान), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (समान मंशा) के तहत आरोपी बनाया गया था। 

हर कार्य धारा 295A के तहत अपराध नहीं: अदालत
हाईकोर्ट ने इस बात का उल्लेख किया कि शिकायतकर्ता ने खुद माना था कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय उस इलाके में बेहद शांति और सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में आगे की कार्रवाई कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। कोर्ट ने शीर्ष अदालत के एक आदेश के हवाले से कहा कि हर कार्य को धारा 295A के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।

सितंबर 2023 को मस्जिद में लगे थे जय श्रीराम नारे
इस मामले में पुलिस ने आरोप लगाया था कि 24 सितंबर 2023 को रात 10:50 बजे आरोपी ने मस्जिद में घुसकर 'जय श्री राम' के नारे लगाए और धमकी दी थी। शिकायत दर्ज होने पर आरोपियों को अज्ञात बताया गया था, लेकिन बाद में उन्हें हिरासत में लिया गया। आरोपियों ने इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में अपील दायर कर अपने खिलाफ मामले को खारिज करवाया।

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