लोकसभा में चुनाव सुधार बहस: अमित शाह का विपक्ष पर तीखा हमला, बोले- "कांग्रेस ने असली वोट चोरी 1946 में की थी"

लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने ईवीएम, मतदाता सूची और सत्ता-विरोधी लहर को लेकर विपक्ष के आरोपों पर कड़ा जवाब दिया।

Updated On 2025-12-10 20:55:00 IST

amit shah speech in lok sabha: अमित शाह बोले- कांग्रेस ने असली वोट चोरी 1946 में की थी

लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के ईवीएम और मतदाता सूची संबंधी आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष का दावा है कि भाजपा को कभी सत्ता-विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन सच यह है कि सत्ता-विरोधी लहर का सामना वही करते हैं जो जनहित के खिलाफ काम करते हैं।

भाजपा की सरकारें बार-बार सत्ता में आती हैं, फिर भी हमने 2014 के बाद कई चुनाव हारे हैं- छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश (2018), कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली नगर निगम में हम हारे या जीत नहीं पाए।

अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि जब विपक्ष जीतता है तो नए कपड़े पहनकर शपथ ले लेता है और मतदाता सूची सही लगती है, लेकिन बिहार जैसे ही मुंह की खानी पड़ी, तो वही मतदाता सूची भ्रष्ट हो गई। लोकतंत्र में दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे।


उन्होंने कांग्रेस के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि असली “वोट चोरी” का सबसे बड़ा उदाहरण 1946 में हुआ जब देश के पहले प्रधानमंत्री का चुनाव हुआ। सरदार पटेल को 15 में से 12 प्रादेशिक समितियों (28 वोट) का समर्थन मिला, नेहरू को सिर्फ 2, फिर भी गांधीजी के दबाव में नेहरू प्रधानमंत्री बन गए।

इसी तरह इंदिरा गांधी का रायबरेली चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, लेकिन बाद में संसद में कानून बदलकर प्रधानमंत्री को अदालती कार्रवाई से छूट दे दी गई। अभी दिल्ली की अदालत में केस चल रहा है कि सोनिया गांधी को भारतीय नागरिकता मिलने से पहले ही मतदाता सूची में डाल दिया गया था।

यहां देखिये अमित शाह का पूरा भाषण 

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शाह ने कहा कि हमने जीवन का आधे से ज्यादा समय विपक्ष में बिताया है, जितने चुनाव जीते उससे ज्यादा हारे, लेकिन कभी चुनाव आयोग या ईवीएम पर उंगली नहीं उठाई। आपकी हार का कारण आपका नेतृत्व है, ईवीएम या मतदाता सूची नहीं। एक दिन कांग्रेस कार्यकर्ता जरूर पूछेंगे कि आखिर हार क्यों रहे हैं।

आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 तक हमने लोकसभा-विधानसभा मिलाकर 44 चुनाव जीते, विपक्ष ने 30। फिर भी कहते हैं मतदाता सूची भ्रष्ट है? तो जब आप जीतते हैं तब क्यों शपथ लेते हैं?

ईवीएम पर हमला बोलते हुए शाह ने याद दिलाया कि ईवीएम 1989 में राजीव गांधी के समय लाई गई थी। 2004 में पूरी तरह लागू हुई और कांग्रेस ही जीती, तब किसी ने शिकायत नहीं की। 2009 में भी कांग्रेस जीती, तो कोई चर्चा नहीं हुई।


इसके जमाने में बिहार-यूपी में बैलेट बॉक्स गायब हो जाते थे, ईवीएम आने के बाद वो खेल बंद हो गया। अब पुराना भ्रष्ट तरीका नहीं चल पा रहा इसलिए पेट में दर्द हो रहा है। दोष ईवीएम का नहीं है, चुनाव जीतने का तरीका जनादेश नहीं था, भ्रष्ट तरीका था। आज ये एक्सपोज हो चुके हैं।

अमित शाह ने राहुल गांधी की बोलती बंद की: संसद में तीखी नोंक-झोंक

लोकसभा में चुनाव सुधार विधेयकों पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच बुधवार को जोरदार नोकझोंक देखने को मिली। अमित शाह का भाषण शुरू होते ही राहुल गांधी लगातार सवाल उठाते रहे, जिससे बहस और भी तीखी हो गई।

राहुल गांधी ने गृह मंत्री से चुनौती भरे लहजे में कहा कि पहले वे मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार की मंशा और पुराने प्रावधानों को हटाने के पीछे की सोच स्पष्ट करें, जिसका जिक्र उन्होंने मंगलवार को अपने भाषण में किया था।

राहुल ने आगे कहा, “अमित शाह जी, मैं आपको खुली बहस की चुनौती देता हूं। आइए, 3 पीसी (प्रेस कॉन्फ्रेंस) पर आकर बहस करें।”

इसके जवाब में अमित शाह ने पलटवार करते हुए उन्होंने शांत पर दृढ़ लहजे में कहा- “मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं पिछले 30 साल से लगातार विधानसभा और संसद के लिए चुना जाता रहा हूं। मुझे संसदीय परंपराओं और प्रक्रिया का पूरा अनुभव है।

विपक्ष का नेता चाहे जितना कहें कि पहले ये सवाल का जवाब दो, पहले वो सवाल का जवाब दो... मैं उन्हें बता दूं कि ये संसद उनकी मर्जी से नहीं चलती। मैं तय करूंगा कि किस क्रम में अपनी बात रखूंगा। उन्हें धैर्य रखना चाहिए और मेरा पूरा जवाब सुनना चाहिए।”

इससे पहले दिन में ही खबर आई थी कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC), केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) जैसे पारदर्शिता से जुड़े महत्वपूर्ण संस्थानों में नियुक्तियों को अंतिम रूप देने वाली उच्चस्तरीय बैठक में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में औपचारिक असहमति नोट (डिसेंट नोट) दर्ज किया था।

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