Nimisha Priya Case: ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार कौन हैं, जिनकी पहल से टली निमिषा की फांसी?

निमिषा प्रिया की फांसी पर यमन में रोक लगी। जानिए 94 वर्षीय ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर मुसलियार का क्या था इस फैसले में अहम रोल।

Updated On 2025-07-29 08:43:00 IST

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Nimisha Priya Case: यमन में भारत की नर्स निमिषा प्रिया को बुधवार (16 जुलाई) को फांसी दी जानी थी। केरल के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर मुसलियार के दखल के बाद फिलहाल सजा-ए-मौत टल गई। अब निमिषा के वकील और परिवार को मृतक तलाल आबदो मेहदी के परिवार से ब्लड मनी (मुआवज़ा) को लेकर बातचीत करने का समय मिल गया है। मामले में भारत सरकार ने भी भूमिका निभाई है। ग्रैंड मुफ्ती के ज़रिए यमन के इस्लामिक स्कॉलर्स से संपर्क साधा गया।

94 साल के हैं अबू बकर मुसलियार
केरल के कोझीकोड में जन्मे 94 साल के अबू बकर मुसलियार इस्लाम धर्म के बड़े विद्वान हैं। अबू बकर खाड़ी देशों और दक्षिण पूर्व एशिया की यात्राओं के दौरान कई इस्लामिक नेताओं से संपर्क में आए। इन्हीं यात्राओं में उनकी मुलाकात यमन के इस्लामिक स्कॉलर और शूरा काउंसिल के सदस्य शेख हबीब उमर बिन हाफिज से हुई थी। मुसलियार के निवेदन पर शेख हबीब ने मध्यस्थता की और यमन के स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल मौत की सजा टाल दी है।

अबू बकर ने क्या कहा...
अबू बकर मुसलियार ने इस्लामी सिद्धांत का हवाला देते हुए यमन के अपने मित्र से अपील की थी। ग्रैंड मुफ्ती मुसलियार ने कहा-इस्लाम में एक कानून यह भी है कि यदि किसी को हत्या का दोषी पाया जाता है तो पीड़ित के परिजनों को माफ करने का अधिकार होता है। मैं उस परिवार को नहीं जानता, लेकिन अपील करता हूं कि उनसे एक बार फिर बातचीत की जाए। मेरी यमन के इस्लामिक विद्वानों से अपील है कि वे इस मामले पर दोबारा सोचें। अबू बकर मुसलियार ने कहा-इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमें इंसानियत को बहुत अहमियत दी गई है।

मरकज नॉलेज सिटी प्रोजेक्ट के चेयरमैन हैं मुफ्ती मुसलियार
बता दें कि ग्रैंड मुफ्ती मुसलियार केरल के प्रसिद्ध धार्मिक नेता हैं। राज्य में उन्हें काफी सम्मान के साथ देखा जाता है। मुसलियार केरल की मरकज नॉलेज सिटी प्रोजेक्ट के चेयरमैन हैं। मुसलियार सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर भी खुलकर बोलते रहे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में जब आंदोलन हुए थे, तब उन्होंने एक बयान दिया था जो काफी चर्चा में रहा। उन्होंने कहा था कि महिलाओं को इस तरह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।

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