जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्र: आप विधायक मेहराज मलिक को तत्काल रिहा करने की मांग, लगा है पीएसए
जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्र के पहले दिन नेशनल कांग्रेस और कांग्रेस विधायकों ने मेहराज मलिक की रिहाई की मांग को लेकर मौन विरोध प्रदर्शन किया। सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी इस मांग का समर्थन किया है।
आप विधायक मेहराज मलिक की रिहाई की मांग करते विधायक।
जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्र के पहले दिन नेशनल कांग्रेस और कांग्रेस विधायकों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मौन विरोध प्रदर्शन किया। दोनों पार्टियां के विधायक आप विधायक मेहराज मलिक की तत्काल रिहाई की मांग कर रहे हैं। विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विरोध प्रदर्शन करते हुए तख्तियां दिखाईं, जिस पर लिखा था, 'वोट का सम्मान करें, आवाज का सम्मान करें, मेहराज मलिक को रिहा करें। बता दें कि आप विधायक मेहराज मलिक पर पीएसए लगा है।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से जब मेहराज मलिक के बारे में सवाल पूछा तो कहा कि विधानसभा के कुछ सदस्य उनकी गिरफ्तारी से खुश हैं, लेकिन ज्यादातर सदस्य हम सभी नाराज हैं। मुझे नहीं लगता कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा या किया, जिस कारण उन पर पीएसए लगाया गया हो। राज्यसभा चुनाव पर उन्होंने कहा कि हम चारों सीटें जीतने जा रहे हैं।
पीडीपी विधायक ने पीएसए की निंदा की
पीडीपी विधायक वहीद पारा ने आप विधायक मेहराज मलिक पर कहा कि उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। हम पब्लिक सेफ्टी एक्ट की निंदा करते हैं। हम कल इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि जमीन के नाम पर, नौकरी के नाम पर कई मुद्दे हैं, जिन पर बात होनी चाहिए।
वहीं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव गुलाम अहमद मीर ने मेहराल मलिक पर कहा कि पहले दिन से ही कहा गया था उनकी भाषा संसदीय नहीं है एक साल से, लेकिन उनकी भाषा इतनी खराब नहीं थी कि उन पर पीएसए लगाया जाए। किसी विधायक पर पीएसए लगाना एक अभूतपूर्व कदम है। सदन के बहुमत ने इस पर चिंता व्यक्त की है।
बता दें कि आप विधायक मेहराज मलिक को सितंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 11 सितंबर को शिमला गए थे, जहां आरोप लगाया कि उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदेश के कई बार मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला हाउस अरेस्ट की खबर मिलने के बाद मिलने सरकारी रेस्ट हाउस आए, लेकिन उन्हें नहीं मिलने दिया। यह तानाशाही नहीं तो और क्या है?