ज्ञान भारतम् पोर्टल: PM मोदी ने किया लॉन्च, कहा-भारत की पांडुलिपि विरासत को मिलेगा नया जीवन
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ज्ञान भारतम्’ पोर्टल लॉन्च किया। भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण और डिजिटलीकरण के लिए यह एक ऐतिहासिक पहल है।
PM मोदी ने लॉन्च किया ‘ज्ञान भारतम्’ पोर्टल, बताई विशेषताएं।
Gyan Bharatham international Conference: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (12 सितंबर) को देश की प्राचीन पांडुलिपि धरोहर के डिजिटलीकरण और संरक्षण के उद्देश्य से विकसित ‘ज्ञान भारतम् पोर्टल’ का उद्घाटन किया। इसका उद्देश्य भारत की ज्ञान परंपरा को न सिर्फ संरक्षित करना है, बल्कि उसे वैश्विक मंच पर पहुंचाना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन इस पोर्टल का शुभारंभ करते हुए ‘ज्ञान भारतम् अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित किया। 11 से 13 सितंबर तक केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में 1,100 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।
क्या है ज्ञान भारतम् पोर्टल?
‘ज्ञान भारतम्’ एक डिजिटल नेशनल प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत की प्राचीन पांडुलिपि विरासत को संरक्षित करने, डिजिटाइज़ करने और आमजन तक पहुँचाने के लिए विकसित किया गया है। यह पोर्टल निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों को साधता है।
ज्ञान भारतम् पोर्टल के उद्देश्य
- राष्ट्रीय पांडुलिपि रजिस्टर के माध्यम से पहचान और दस्तावेज़ीकरण
- दुर्लभ और नाजुक ग्रंथों का संरक्षण और पुनर्स्थापन
- एआई-संचालित उपकरणों से तेज़ डिजिटलीकरण
- राष्ट्रीय डिजिटल भंडार का निर्माण
- अनुवाद, प्रकाशन और शोध को बढ़ावा
- शोधकर्ताओं, संरक्षकों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
- शिक्षा में पांडुलिपियों के ज्ञान का एकीकरण
- वैश्विक साझेदारियों के ज़रिए भारत का ज्ञान निर्यात
भारतीय ज्ञान परंपरा के पुर्नस्थापन पर विमर्श
सम्मेलन में देश-विदेश से 1,100 से अधिक विद्वानों, संस्थाओं और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। सभी ने पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान परंपरा को पुनः प्राप्त करने के लिए जरूरी सुझाव दिए। मंच ने भारत की सभ्यतागत जड़ों से जुड़ने और उसे 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना से जोड़ने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ज्ञान भारतम् केवल एक पोर्टल नहीं, बल्कि यह एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जो भारत के प्राचीन ज्ञान को डिजिटल युग में स्थान देता है। यह पहल भारत को उसके वैदिक, दार्शनिक और वैज्ञानिक मूल्यों के साथ जोड़कर एक वैश्विक ज्ञान शक्ति के रूप में पुनः स्थापित करने का प्रयास है।