वैश्विक गोलमेज चर्चा: CJI गवई बोले-सेवानिवृत्त जजों का तुरंत पद लेना विश्वास कम करता है, न्यायिक निष्पक्षता पर भी जताई चिंता

CJI बीआर गवई ने यूके की वैश्विक गोलमेज चर्चा में कहा- न्यायपालिका केवल निष्पक्ष न्याय नहीं, बल्कि सत्ता के सामने सच बोलने वाली संस्था है। सेवानिवृत्ति के तुरंत जजों का पद लेना जनता में विश्वास कम करता है।

Updated On 2025-06-04 14:51:00 IST

सीजेआई बीआर गवई।

CJI BR Gavai on Post Retirement : भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई नेन्यायपालिका की स्वतंत्रता और नैतिकता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। कहा, सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद जजों द्वारा सरकारी नियुक्तियां अथवा चुनावी राजनीति में प्रवेश जनता न्यायपालिका की निष्पक्षता पर संदेह पैदा करता है। इससे लोगों में यह धारणा बना सकता है कि न्यायिक निर्णय पूर्व-निर्धारित स्वार्थों से प्रभावित थे।

UK में वैश्विक गोलमेज चर्चा में संबोधन
यूके की सुप्रीम कोर्ट में वैश्विक गोलमेज चर्चा में CJI गवई ने स्पष्ट कहा- न्यायपालिका को केवल निष्पक्ष न्याय नहीं देना चाहिए, बल्कि उसे सत्ता के सामने सच बोलने वाली संस्था के रूप में भी दिखना चाहिए। मैं और मेरे कुछ सहयोगियों ने सार्वजनिक संकल्प लिया है कि सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद स्वीकार नहीं करेंगे।

न्यायिक स्वतंत्रता की चुनौती
न्यायिक वैधता और सार्वजनिक विश्वास पर आयोजित चर्चा में CJI गवई ने स्वीकार किया कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा चुनाव लड़ना या सरकारी पद स्वीकार करना, न सिर्फ न्यायपालिका की साख को कमजोर करता है। बल्कि जनता में यह विश्वास भी घटता है कि न्यायिक फैसले निष्पक्ष थे।

कॉलेजियम प्रणाली पर संतुलित दृष्टिकोण
CJI ने कॉलेजियम सिस्टम पर भी अपनी राय स्प्ष्ट की। कहा, कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना हो सकती है, लेकिन कोई भी ऐसा समाधान नहीं होना चाहिए जो न्यायिक स्वतंत्रता की कीमत पर हो। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 50 का हवाला देते हुए न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच स्पष्ट विभाजन की बात दोहराई।

पारदर्शिता और जवाबदेही के उपाय
सीजेआई ने न्यायपालिका में विश्वास बनाए रखने के लिए कुछ उपायों की सराहना की है। इनमें न्यायाधीशों की संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा, एनजेडीजी (NJDG) पर केस डेटा उपलब्ध कराना, निर्णयों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद और लाइव स्ट्रीमिंग शामिल हैं। हालांकि, इनके सावधानीपूर्वक उपयोग की चेतावनी भी दी है।

संदर्भ से बाहर रिपोर्टिंग का खतरा 
CJI ने कहा, लाइव स्ट्रीमिंग सशक्त माध्यम है, लेकिन इसका ग़लत या संदर्भहीन इस्तेमाल, फर्जी खबरों को जन्म दे सकता है। उन्होंने उदाहरण भी दिया। कहा, हमारे सहयोगी न्यायाधीश की टिप्पणी को संदर्भ से हटाकर न्यायपालिका की छवि खराब करने वाला बताया गया।


न्यायिक भ्रष्टाचार पर सख्ती
CJI गवई ने स्वीकारा कि कुछ दुर्लभ उदाहरणों में न्यायिक भ्रष्टाचार की शिकायतें आई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की है। ताकि, जनता का भरोसा बहाल हो सके।

अपेक्षाओं के आईने में भी परखनी जवाबदेही 
CJI बीआर गवई का यह बयान न केवल न्यायपालिका के लिए आत्ममंथन का विषय है, बल्कि जनता के विश्वास की रक्षा के लिए संस्थागत पारदर्शिता की भी मांग करता है। न्यायाधीशों की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और जवाबदेही को केवल संविधान के भीतर ही नहीं, बल्कि समाज की अपेक्षाओं के आईने में भी परखनी होगी। 

यह न्यायाधीश भी शामिल हुए
इस वैश्विक चर्चा में सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इंग्लैंड की महिला मुख्य न्यायाधीश बैरोनेस कैर और लॉर्ड लेगट भी शामिल हुए। वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव बनर्जी ने संचालन किया।

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