Vodafone Idea: वोडाफोन आइडिया का शेयर हुआ रॉकेट, एक खबर के कारण 9.5% फीसदी तक उछला

Vodafone Idea AGR case: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया के एजीआर केस पर दोबारा विचार की अनुमति दी। सरकार ने कहा कि कंपनी में उसकी 49 फीसदी हिस्सेदारी और 20 करोड़ यूजर्स के चलते वह मुद्दे पर पुनर्विचार को तैयार है।

Updated On 2025-10-27 14:27:00 IST

Vodafone Idea AGR case: वोडाफोन आइडिया के शेयर 9 फीसदी से ज्यादा चढ़े। 

Vodafone Idea AGR case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वोडाफोन आइडिया को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में बड़ी राहत दी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कंपनी के मुद्दे पर दोबारा विचार करने की अनुमति दी। इसके बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में जबरदस्त तेजी आई और शेयर 9.5 फीसदी तक उछलकर एक साल के उच्च स्तर 10.57 रुपये पर पहुंच गया। हालांकि, बाद में मुनाफावसूली के चलते शेयर 1.5% की बढ़त के साथ ट्रेड कर रहे थे।

चीफ जस्टिस बी आर गवई की अगुआई वाली बेंच ने कहा, 'सरकार को इस मामले पर दोबारा विचार करने से रोकने का कोई कारण नहीं है।' बेंच में जस्टिस के. विनोद चंद्रन और विपुल एम पांचोली भी शामिल थे।

बदले हालात, अब पुनर्विचार जरूरी

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हालात बदल गए हैं क्योंकि अब केंद्र सरकार की कंपनी में 49 फीसदी हिस्सेदारी है और करीब 20 करोड़ ग्राहक वोडाफोन आइडिया की सेवाएं इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'सरकार ने कंपनी में बड़ी इक्विटी डाली है और यह सीधा असर करोड़ों यूजर्स पर डालता है, इसलिए इस पर दोबारा विचार जरूरी है।' कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि सरकार उचित निर्णय ले सकती है। इस सकारात्मक संकेत का असर अन्य टेलीकॉम शेयरों पर भी दिखा। इंडस टावर के शेयर 5% और भारती एयरटेल के करीब 3% तक चढ़े।

क्या है AGR विवाद?

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू वह राजस्व है जिस पर सरकार दूरसंचार कंपनियों से लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम चार्ज वसूलती है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर की परिभाषा पर दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद टेलीकॉम कंपनियों पर लगभग 93,520 करोड़ का बकाया हो गया। कोर्ट ने सितंबर 2020 में कंपनियों को 10 साल में किस्तों में भुगतान की अनुमति दी थी, जिसमें 10% राशि मार्च 2021 तक और बाकी 2031 तक चुकानी थी।

हालांकि, वोडाफोन आइडिया ने अब दूरसंचार विभाग के 5606 करोड़ के 2016-17 से जुड़े डिमांड नोटिस के खिलाफ नई याचिका दाखिल की है। कंपनी का कहना है कि AGR कैलकुलेशन में गणना की गलतियां और डुप्लीकेशन हुए हैं, जिनकी डिडक्शन वेरिफिकेशन गाइडलाइन (2020) के तहत दोबारा जांच होनी चाहिए।

(प्रियंका कुमारी)

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