RBI New Loan Rule: लोन समय से पहले चुकाने पर नहीं देना होगा चार्ज! RBI का नया नियम जानकर होंगे खुश

RBI New Loan Rule: लोन समय से पहले चुकाने पर लगने वाले फोर क्लोज़र चार्ज को लेकर आरबीआई ने नया आदेश दिया है। जानते हैं इसके बारे में।

Updated On 2025-07-08 19:30:00 IST

आरबीआई के नए नियम से मिलेगी राहत।

RBI New Loan Rule: लोन लेने वालों के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक बड़ा राहतभरा फैसला सुनाया है। अब अगर कोई व्यक्ति समय से पहले अपना लोन चुकाना चाहता है, तो उस पर बैंक या वित्तीय संस्था कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगा सकेगी। खासकर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लिए गए लोन पर अब प्री-पेमेंट चार्ज पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। RBI का यह नया नियम 1 जनवरी 2026 से देशभर में लागू होगा।

इस बदलाव का सीधा फायदा होम लोन, पर्सनल लोन और माइक्रो-स्मॉल एंटरप्राइजेज (MSE) द्वारा लिए गए लोन धारकों को मिलेगा। RBI ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कई बैंक और NBFCs अलग-अलग नियमों के तहत ग्राहकों से प्री-पेमेंट चार्ज वसूल रहे थे। इससे कर्जदारों में भ्रम और विवाद की स्थिति बन रही थी।

किन लोन धारकों को मिलेगा फायदा?

नया नियम उन लोगों पर लागू होगा जिन्होंने फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर नॉन-कमर्शियल उद्देश्य से लोन लिया है। चाहे वह अकेले लिया गया हो या को-ऑब्लिगेंट के साथ, अब कोई भी बैंक या NBFC उन पर प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाएगा। इसके अलावा MSEs द्वारा लिए गए बिजनेस लोन पर भी यह राहत लागू होगी।

किन संस्थाओं को नहीं मिलेगा लाभ?

हालांकि यह राहत सभी पर नहीं लागू होगी। कुछ संस्थानों को इसमें छूट नहीं दी गई है, जैसे:

स्मॉल फाइनेंस बैंक

रीजनल रूरल बैंक

लोकल एरिया बैंक

टियर-4 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक

NBFC- अपर लेयर (NBFC-UL)

ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन

₹50 लाख तक के लोन पर भी राहत

अगर किसी व्यक्ति या MSE ने ऊपर दिए गए संस्थानों से ₹50 लाख तक का लोन लिया है, तो उस पर भी कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगेगा। इसमें टियर-3 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, स्टेट और सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक और NBFC–मिड लेयर भी शामिल हैं।

प्री-पेमेंट चार्ज से जुड़े नियम होंगे पारदर्शी

RBI ने निर्देश दिया है कि अब सभी बैंक और NBFC लोन से जुड़ी प्री-पेमेंट शर्तों को की-फैक्ट स्टेटमेंट (KFS), लोन एक्सेप्टेंस लेटर और कॉन्ट्रैक्ट में स्पष्ट रूप से दर्शाएं। अगर कोई चार्ज KFS में मेंशन नहीं है, तो उसे बाद में वसूल नहीं किया जा सकता।

लॉक-इन पीरियड और सोर्स पर भी नहीं होगा फर्क

नए नियम के मुताबिक, ग्राहक जब चाहें लोन का आंशिक या पूरा भुगतान कर सकते हैं – चाहे फंड का सोर्स कोई भी हो। इसके लिए न तो कोई लॉक-इन पीरियड होगा और न ही कोई अतिरिक्त शर्त लागू होगी।

फिक्स्ड टर्म और कैश क्रेडिट लोन के लिए क्या है नियम?

फिक्स्ड टर्म लोन में अगर प्री-पेमेंट चार्ज लगाया जाता है, तो वह सिर्फ प्री-पे की गई राशि पर आधारित होना चाहिए। वहीं, कैश क्रेडिट और ओवरड्राफ्ट जैसे मामलों में अगर ग्राहक समय से पहले रिन्यू न करने की सूचना देता है और समय पर भुगतान करता है, तो उस पर भी कोई चार्ज नहीं लगेगा।

ग्राहकों के लिए क्या है फायदा?

अब बैंक या NBFC ग्राहक को किसी अन्य सस्ते विकल्प पर स्विच करने से नहीं रोक सकेंगे। इससे ग्राहक ज्यादा किफायती ब्याज दरों वाले लोन का विकल्प चुन पाएंगे और अपनी EMI का बोझ कम कर सकेंगे। यह बदलाव कर्जदारों को वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।

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